लखनऊ की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कोर्ट ने बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी (बीबीएयू) के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (यूआईईटी) के पूर्व ऑफिस असिस्टेंट विजय कुमार द्विवेदी को रिश्वत मामले में दोषी ठहराते हुए चार साल की सजा सुनाई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को जारी एक आधिकारिक बयान में बताया कि कोर्ट ने सजा के साथ 30,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है। बयान में कहा गया है कि यह फैसला 9 दिसंबर को सुनाया गया।
सीबीआई के अनुसार, यह मामला यूआईईटी के एक अनुबंध पर काम करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर की शिकायत से शुरू हुआ था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि विजय कुमार द्विवेदी ने असिस्टेंट प्रोफेसर के अनुबंध की अवधि बढ़ाने के बदले 50,000 रुपए की अनुचित मांग की थी। आरोपी ने दावा किया था कि यह यूआईईटी के डायरेक्टर के माध्यम से किया जाएगा और रिन्यूअल सुनिश्चित करने के लिए रिश्वत की मांग की थी।
शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, सीबीआई ने 2 जून, 2017 को मामला दर्जकर जांच शुरू की थी। जांच के दौरान सीबीआई ने विजय कुमार द्विवेदी को शिकायतकर्ता असिस्टेंट प्रोफेसर से रिश्वत की रकम मांगते और लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। इसके बाद उसने भागने की कोशिश की, लेकिन सीबीआई ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
जांच पूरी होने के बाद, सीबीआई ने 1 अगस्त, 2017 को द्विवेदी के खिलाफ चार्जशीट दायर की। सारे सबूत और विस्तृत सुनवाई के बाद, सीबीआई कोर्ट ने विजय कुमार द्विवेदी को अवैध रिश्वत मांगने और स्वीकार करने का दोषी पाया और उसे चार साल की जेल की सजा सुनाई। कोर्ट ने उसे 30,000 रुपए का जुर्माना भरने का भी आदेश दिया। एजेंसी ने कहा कि यह फैसला सार्वजनिक संस्थानों में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए सीबीआई की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
सीबीआई रिश्वतखोरी के मामलों की सक्रिय रूप से जांच करती है, जिसके परिणामस्वरूप सरकारी कर्मचारियों और निजी व्यक्तियों को रिश्वत मांगने या स्वीकार करने के लिए दोषी ठहराया जाता है, जिसमें सजा के तौर पर जेल और भारी जुर्माना शामिल है।


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