सीबीआई ने मनीषा हत्याकांड में एफआईआर दर्ज कर ली है। इससे पहले, पुलिस ने मनीषा के पिता संजय कुमार की शिकायत पर भिवानी के लोहारू पुलिस स्टेशन में 12 अगस्त को बीएनएस (गलत तरीके से बंधक बनाना) की धारा 127 (6) के तहत एफआईआर दर्ज की थी।
उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि 11 अगस्त को उनकी 18 साल की बेटी मनीषा सिंघानी गाँव के एक प्ले स्कूल में बच्चों को पढ़ाने गई थी, लेकिन वापस नहीं लौटी। वह सुबह 8 बजे घर से निकली थी। उन्होंने बताया कि परिवार ने उसे हर जगह ढूँढा और रिश्तेदारों से भी पूछा, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला।
13 अगस्त को उसका शव गाँव की नहर के पास एक खेत में मिला, गर्दन पर गंभीर चोटों के निशान थे। इसके बाद, मामले में बीएनएस (हत्या) की धारा 103(1) जोड़ दी गई।
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) द्वारा 4 सितंबर को जारी अधिसूचना के तहत मामले की जाँच सीबीआई को सौंप दी गई। 5 सितंबर को सीबीआई की दिल्ली इकाई ने इस मामले में एक नियमित मामला दर्ज किया।
मामले की जांच सीबीआई, नई दिल्ली के इंस्पेक्टर विवेक कुमार को सौंपी गई है। 25 सितंबर को अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) गृह डॉ. सुमिता मिश्रा ने मामले के स्थानांतरण पर सहमति दे दी थी। इससे पहले, 20 अगस्त को, पीड़िता के परिवार की मांग पर, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मामले की सीबीआई जाँच की घोषणा की थी।
परिवार की माँग पर शव के तीन पोस्टमार्टम किए गए। पहला पोस्टमार्टम भिवानी में, दूसरा पीजीआई, रोहतक में और तीसरा एम्स, दिल्ली में हुआ। 21 अगस्त को उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
यह मुद्दा विधानसभा में भी उठा था। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा था कि मनीषा हत्याकांड के बाद सभी अपनी बहन-बेटियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि इस अपराध में दोषियों की क्रूरता और कानून-व्यवस्था की नाकामी साफ़ दिखाई दे रही है। उन्होंने आगे कहा, “शिकायत मिलने के बावजूद पुलिस ने लापरवाही बरती और मनीषा को ढूँढने की कोशिश नहीं की।”