नई दिल्ली, केंद्र सरकार घरेलू मूल्यों को नियंत्रित करने और घरेलू खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चावल के निर्यात को प्रतिबंधित करने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है। इस संदर्भ में गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध भी लगाया गया है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का कहना है कि निर्धारित किस्मों पर प्रतिबंध के बावजूद वर्तमान वर्ष के दौरान चावल का निर्यात अधिक रहा है। 17 अगस्त 2023 तक चावल का कुल निर्यात पिछले वर्ष की इसी अवधि के 6.37 एमएमटी की तुलना में 7.33 एमएमटी रहा। इसमें 15.06 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। बासमती चावल के निर्यात में भी तेजी देखी गई है। इन दोनों किस्मों के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया था।
उबले हुए चावल के निर्यात में 21.18 प्रतिशत (पिछले वर्ष के दौरान 2.72 एमएमटी की तुलना में चालू वर्ष के दौरान 3.29 एमएमटी) बढ़ा है। वहीं बासमती चावल के निर्यात में 9.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
कृषि और किसान कल्याण विभाग के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, रबी सत्र 2022-23 के दौरान उत्पादन 158.95 एलएमटी रहा, जबकि 2021-22 के रबी सत्र के दौरान यह 184.71 एलएमटी था, और इसमें 13.84 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एशियाई देशों से खरीदारों की मजबूत मांग, थाईलैंड जैसे कुछ प्रमुख उत्पादक देशों में 2022-23 में दर्ज उत्पादन व्यवधान और अल नीनो की शुरुआत के संभावित प्रतिकूल प्रभाव की आशंका के कारण, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतें पिछले साल से लगातार बढ़ रही हैं।
मंत्रालय का कहना है कि गैर-बासमती सफेद चावल के गलत वर्गीकरण और अवैध निर्यात के संबंध में विश्वसनीय जमीनी रिपोर्टें प्राप्त हुई हैं। इनके निर्यात पर 20 जुलाई,2023 से रोक लगा दी गई है। गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात उबला हुआ चावल और बासमती चावल के एचएस कोड के तहत करने की जानकारी प्राप्त हुई है।
दरअसल, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) बासमती चावल के निर्यात के नियमन के लिए उत्तरदायी है। इसके लिए पहले से ही एक वेब-आधारित प्रणाली मौजूद है। इसलिए सरकार ने बासमती चावल के नाम पर सफेद गैर-बासमती चावल के संभावित अवैध निर्यात को रोकने के लिए अधिक उपाय शुरू करने के लिए एपीडा को निर्देश जारी किए हैं।
इन निर्देशों के मुताबिक, केवल 1200 अमेेेेरिकी डाॅलर प्रति मीट्रिक टन और उससे अधिक मूल्य के बासमती निर्यात के लिए अनुबंधों को पंजीकरण-सह-आवंटन प्रमाणपत्र (आरसीएसी) जारी करने के लिए पंजीकृत किया जाना चाहिए।