N1Live National केंद्र ने झारखंड को पांच साल में ढाई लाख करोड़ दिए और हेमंत सरकार लूट-भ्रष्टाचार का रिकॉर्ड बनाने में व्यस्त रही : गौरव वल्लभ
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केंद्र ने झारखंड को पांच साल में ढाई लाख करोड़ दिए और हेमंत सरकार लूट-भ्रष्टाचार का रिकॉर्ड बनाने में व्यस्त रही : गौरव वल्लभ

Center gave Rs 2.5 lakh crore to Jharkhand in five years and Hemant government was busy in making record of loot and corruption: Gaurav Vallabh

रांची, 2 नवंबर । भाजपा नेता गौरव वल्लभ ने शनिवार को रांची में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने झारखंड को पिछले पांच साल में ढाई लाख करोड़ रुपये दिए, लेकिन यहां की सरकार ने इस राशि का उपयोग करने के बजाय लूट और भ्रष्टाचार का कीर्तिमान कायम कर दिया।

गौरव वल्लभ ने झारखंड को केंद्र से मिलने वाली राशि का ब्योरा पेश करते हुए कहा कि पिछले दस वर्षों का आंकड़ा कहता है कि राज्य को कुल राजस्व का 55 प्रतिशत हिस्सा केंद्र से प्राप्त होता है। केंद्र में 2014 में जब से भाजपा की सरकार बनी है, तब से अब तक इस राज्य को कुल साढ़े चार लाख करोड़ दिए गए हैं। इसके अलावा केंद्र ने राज्य में रेलवे नेटवर्क के विस्तार के लिए 37 हजार 972 करोड़ रुपये और सड़कों पर 17 हजार करोड़ रुपये अलग से खर्च किए हैं। इसी तरह ट्राइबल्स अफेयर्स मिनिस्ट्री ने झारखंड में आदिवासियों के उत्थान और कल्याण के लिए 917 करोड़ और ट्राइबल्स सब प्लान के लिए अलग से 760 करोड़ रुपये दिए। जीएसटी कंपनसेशन ग्रांट के तौर पर भी झारखंड को 10 हजार करोड़ दिए गए हैं।

गौरव वल्लभ ने कहा कि केंद्र की सरकार विकास की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखकर राज्य को लगातार फंड दे रही है, लेकिन झारखंड की सरकार राशि खर्च करने के बजाय लूट-भ्रष्टाचार की योजनाएं बनाने में व्यस्त रही। वित्तीय वर्ष 24-25 में केंद्र ने इसे 57 हजार 301 करोड़ रुपये दिए। हेमंत सोरेन बताएं कि केंद्र से मिली राशि क्यों खर्च नहीं की?

भाजपा नेता ने कहा कि केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत झारखंड को 11 हजार करोड़ दिए। इनमें से मात्र 50 प्रतिशत राशि ही खर्च की गई। समग्र शिक्षा अभियान में राज्य को साढ़े चार हजार करोड़ रुपये मिले और ये लोग मात्र सवा दो हजार करोड़ खर्च किए। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में 86 करोड़ रुपये दिए गए और इसमें से मात्र 48 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसकी वजह यह है कि झारखंड की सरकार को जब जमीन पर योजनाएं बनानी और धरातल पर उतारनी थी, तब वह भ्रष्टाचार की योजना बनाने में व्यस्त रही।

गौरव वल्लभ ने झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस पर आरोपों की बौछार करते हुए कहा कि इसके नेता पूरे पांच साल इस काम में लगे रहे कि कैसे सेना की जमीनों पर कब्जा किया जाए, कैसे अपने परिवार को भूमि आवंटित की जाए और कैसे राज्य के बिजली बोर्ड के 100 करोड़ रुपये कलकत्ता की निजी कंपनी के खाते में डाल दिए जाएं। भारत सरकार ने हर राज्य में टूरिज्म सर्किट के लिए एक हजार करोड़ की स्पेशल ग्रांट देने की योजना लागू की। देश के सभी राज्यों की सरकारों ने योजना बनाकर इस ग्रांट की राशि का उपयोग किया, लेकिन झारखंड की सरकार ने केंद्र को योजना का प्रस्ताव तक नहीं भेजा। यह इकलौता ऐसा राज्य हैं, जहां भ्रष्टाचार के मामले में एक डीसी, एक चीफ इंजीनियर, एक मंत्री और मंत्री के पीए जेल में हैं। आज झारखंड का हर व्यक्ति हेमंत सोरेन से हिसाब मांग रहा है कि वे केंद्र से मिली राशि क्यों खर्च नहीं कर पाए। 23 नवंबर को इस सरकार की विदाई तय है।

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