January 20, 2025
National

झारखंड की 1.36 लाख करोड़ रुपये की दावेदारी केंद्र ने नकारी, हेमंत बोले- भाजपा सांसद उठाएं आवाज

Center rejected Jharkhand’s claim of Rs 1.36 lakh crore, Hemant said – BJP MPs should raise their voice

रांची, 17 दिसंबर । 1 लाख 36 हजार करोड़ की रकम पर केंद्र और झारखंड सरकार के बीच तकरार खड़ी हो गई है। झारखंड सरकार का दावा है कि राज्य में कोयला खनन की रॉयल्टी और खदानों के लिए जमीन अधिग्रहण के एवज में केंद्र के पास यह रकम बकाया है। लेकिन, केंद्र सरकार ने संसद में इस संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि झारखंड का उसके पास कोई बकाया नहीं है। केंद्र के इस स्टैंड पर झारखंड सरकार ने विरोध जताया है।

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि झारखंड की मांग जायज है। राज्य के विकास के लिए यह राशि जरूरी है। उन्होंने झारखंड के भाजपा सांसदों से अपील की है कि वे झारखंड की इस मांग पर आवाज बुलंद करें।

झारखंड के सत्तारूढ़ गठबंधन ने केंद्र के पास कुल 1 लाख 36 हजार करोड़ की राशि बकाया होने का मुद्दा विधानसभा चुनाव के दौरान भी प्रमुखता से उठाया था। सीएम सोरेन अपनी सभाओं में बार-बार कहते रहे कि केंद्र ने झारखंड का पैसा रोक रखा है, जिसकी वजह से राज्य में विकास की योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।

दो दिन पहले बिहार के निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने लोकसभा में इसे लेकर सवाल पूछा कि कोयले से राजस्व के रूप में अर्जित कर में झारखंड की हिस्सेदारी 1.40 लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार के पास लंबित है। उसे ट्रांसफर नहीं किया जा रहा है। इसके क्या कारण है? इस सवाल पर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने लिखित जवाब में कहा कि केंद्र सरकार के पास कोयले के राजस्व का झारखंड का कोई हिस्सा लंबित नहीं है।

केंद्र के इस जवाब के बाद झारखंड में सियासी तौर पर बवाल मचना तय माना जा रहा है। फिलहाल दूसरे राज्यों के निजी दौरे पर गए सीएम हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर पहली प्रतिक्रिया दी है।

सीएम सोरेन ने इसी साल सितंबर महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था झारखंड राज्य का सामाजिक-आर्थिक विकास मुख्य रूप से खनन और खनिजों से होने वाले राजस्व पर निर्भर करता है, जिसमें से 80 प्रतिशत कोयला खनन से आता है। झारखंड में काम करने वाली कोयला कंपनियों पर मार्च 2022 तक राज्य सरकार का लगभग 1,36,042 करोड़ रुपये का बकाया है।

पीएम को भेजे गए पत्र में कोयला कंपनियों पर बकाया राशि की दावेदारी का ब्रेकअप भी दिया था। इसके अनुसार वाश्ड कोल की रॉयल्टी के मद में 2,900 करोड़, पर्यावरण मंजूरी की सीमा के उल्लंघन के एवज में 32 हजार करोड़, भूमि अधिग्रहण के मुआवजे के रूप में 41,142 करोड़ और इसपर सूद की रकम के तौर पर 60 हजार करोड़ रुपए बकाया हैं।

सीएम सोरेन ने पीएम को भेजी गई चिट्ठी में कहा था कि जब झारखंड की बिजली कंपनियों ने केंद्रीय उपक्रम डीवीसी (दामोदर वैली कॉरपोरेशन) के बकाया भुगतान में थोड़ी देर की, तो हमसे 12 प्रतिशत ब्याज लिया गया और हमारे खाते से सीधे भारतीय रिजर्व बैंक से डेबिट कर लिया गया। उन्होंने कहा कि अगर हम कोयला कंपनियों पर बकाया राशि पर साधारण ब्याज 4.5 प्रतिशत के हिसाब से जोड़ें, तो राज्य को प्रति माह केवल ब्याज के रूप में 510 करोड़ रुपये मिलने चाहिए। उन्होंने कहा है कि इस बकाया का भुगतान न होने से झारखंड राज्य को अपूरणीय क्षति हो रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, स्वच्छ पेयजल और अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी जैसी विभिन्न सामाजिक योजनाएं फंड की कमी के कारण जमीन पर उतारने में दिक्कत आ रही है।

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