विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को मध्य एशियाई देशों की ओर से पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने और भारत के साथ एकजुटता दिखाने के लिए आभार व्यक्त किया।
उन्होंने नई दिल्ली में आयोजित चौथे भारत-मध्य एशिया संवाद के उद्घाटन सत्र में कहा, “मैं इसकी सराहना करता हूं कि आपके देशों ने भारत के साथ खड़े होकर उस भयावह आतंकी हमले की निंदा की, जो अप्रैल में पहलगाम में हुआ था।”
इस संवाद में कजाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मुरात नुर्तलेउ, ताजिकिस्तान के विदेश मंत्री सिरोजिद्दीन मुहरिद्दीन, तुर्कमेनिस्तान के विदेश मंत्री राशिद मेरेदोव, किर्गिस्तान के विदेश मंत्री जीनबेक कुलुबाएव और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री बख्तियोर सैदोव ने भाग लिया।
जयशंकर ने कहा कि भारत मध्य एशिया के साथ अपनी हजारों साल पुरानी सभ्यतागत और सांस्कृतिक साझेदारी को गहराई से संजोता है। उन्होंने कहा कि व्यापार, विचारों के आदान-प्रदान और लोगों के संपर्क के माध्यम से बने यह संबंध समय के साथ और मजबूत हुए हैं, जो अब साझी आकांक्षाओं और चुनौतियों पर आधारित सहयोग में बदल चुके हैं।
उन्होंने बताया कि भारत-मध्य एशिया सहयोग को 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सभी पांच मध्य एशियाई देशों की यात्रा के बाद “क्वांटम बूस्ट” मिला।
जयशंकर ने यह भी बताया कि 2022 में भारत और मध्य एशियाई देशों के समकालीन कूटनीतिक संबंधों के 30 वर्ष पूरे हुए। इस दौरान दोनों पक्षों ने कानूनी और संस्थागत ढांचा तैयार किया, जिसने आपसी सहयोग को नई ऊंचाई दी।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत, मध्य एशियाई देशों का एक विश्वसनीय विकास सहयोगी बना हुआ है। उन्होंने बताया कि व्यापार, आर्थिक और निवेश संबंध पिछले एक दशक में उल्लेखनीय रूप से मजबूत हुए हैं।
जयशंकर ने आईटीईसी ट्रेनिंग स्लॉट, आईसीसीआर छात्रवृत्ति और ‘हाई इम्पैक्ट कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स’ के तहत भारतीय अनुदानों का जिक्र किया, जो सामाजिक-आर्थिक विकास में सहयोग दे रहे हैं।
उन्होंने गुरुवार को हुई भारत-मध्य एशिया बिजनेस काउंसिल मीटिंग के बारे में बताया कि इसमें डिजिटल तकनीक, फिनटेक, इंटर-बैंक संबंधों जैसे क्षेत्रों में अड़चनों को दूर करने और सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई।
उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष व्यापार, निवेश, रक्षा, कृषि प्रसंस्करण, वस्त्र, फार्मा, क्षेत्रीय संपर्क, सुरक्षा, शिक्षा, संस्कृति, और नवाचार तकनीकों में आपसी हितों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
बता दें कि भारत-मध्य एशिया संवाद की शुरुआत जनवरी 2019 में समरकंद में हुई थी। दूसरा संवाद अक्टूबर 2020 में वर्चुअली आयोजित हुआ था और तीसरा दिसंबर 2021 में नई दिल्ली में हुआ था।
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