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केंद्रीय भंडारण निगम ने चंबा जिले में टीबी रोगियों को गोद लिया

Central Warehousing Corporation adopts TB patients in Chamba district

टीबी मुक्त चंबा की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, केंद्रीय भंडारण निगम ने सरकार के “नि-क्षय मित्र” कार्यक्रम के तहत कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल के तहत तपेदिक रोगियों को गोद लिया है। इस कदम का उद्देश्य अगले एक साल तक जिले के सभी टीबी रोगियों को मुफ्त पोषण सहायता प्रदान करना है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बिपेन ठाकुर ने कहा कि इसके साथ ही चंबा जिला अब हिमाचल प्रदेश का पहला जिला बन गया है, जो टीबी रोगियों के लिए 100 प्रतिशत पोषण सहायता कवरेज सुनिश्चित करता है।

सीएमओ ने बताया कि सीएसआर ढांचे के तहत टीबी रोगियों को गोद लेने का प्रस्ताव केंद्रीय भंडारण निगम को सौंपा गया था और अब इसे आधिकारिक मंजूरी मिल गई है। इस पहल का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर टीबी रोगियों में कुपोषण को खत्म करना है, जो उनके ठीक होने में महत्वपूर्ण कारक है।

डॉ. ठाकुर ने बताया कि टीबी का इलाज आम तौर पर छह महीने तक चलता है, जिसके दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने और संक्रमण से प्रभावी ढंग से लड़ने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार बहुत ज़रूरी होता है। डॉ. ठाकुर ने कहा, “यह साझेदारी चंबा को टीबी मुक्त बनाने के हमारे मिशन को काफ़ी बढ़ावा देगी। हम हाल के दिनों में टीबी रोगियों की सहायता के लिए सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने और नि-क्षय मित्रों की पहचान करने का प्रयास कर रहे हैं।”

इस कार्यक्रम से न केवल टीबी रोगियों के स्वास्थ्य में तेजी आने की उम्मीद है, बल्कि यह समुदाय-संचालित स्वास्थ्य सहायता के माध्यम से इस रोग से निपटने के लिए अन्य जिलों के लिए एक आदर्श के रूप में भी कार्य करेगा।

चंबा में राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत चंबा स्वास्थ्य विभाग सक्रिय रूप से क्षय रोग (टीबी) के मामलों का पता लगाने और उनका इलाज करने के लिए काम कर रहा है। इस प्रयास का एक प्रमुख घटक टीबी स्क्रीनिंग शिविर है, जो उच्च जोखिम वाली आबादी को लक्षित करता है, जिसमें बुजुर्ग, मधुमेह रोगी, धूम्रपान करने वाले और टीबी उपचार का इतिहास रखने वाले लोग शामिल हैं। ये शिविर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) और आशा कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित किए जाते हैं, जिनमें संबंधित स्वास्थ्य सुविधाओं में उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों की सूची उपलब्ध होती है।

डॉ. ठाकुर ने कहा कि टीबी से होने वाली मौतों को रोकने के लिए जनभागीदारी भी बहुत जरूरी है। टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत कोई भी व्यक्ति-चाहे वह कर्मचारी हो, समुदाय का नेता हो या व्यवसायी-या संगठन टीबी के मरीजों और उनके परिवारों को गोद ले सकता है और उन्हें छह महीने के इलाज के दौरान पोषण संबंधी सहायता प्रदान कर सकता है।

उन्होंने जिलावासियों से ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से क्षय मित्र के रूप में पंजीकरण कराने की अपील की।

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