केंद्र सरकार ने आज पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को बताया कि पंजाब विश्वविद्यालय के शिक्षकों की आयु 65 वर्ष करने का मुद्दा सक्रियता से विचाराधीन है। केंद्र ने पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट के आयु सीमा को 60 से 65 वर्ष करने के प्रस्ताव पर विचार करने और अंतिम निर्णय लेने के लिए न्यायालय से दो महीने का अतिरिक्त समय मांगा।
न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति रोहित कपूर की खंडपीठ के समक्ष जैसे ही मामला सुनवाई के लिए आया, भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन ने अदालत को सूचित किया कि इस मामले पर सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है, लेकिन इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लेने के लिए और समय की आवश्यकता होगी। इसके लिए, वह सभी हितधारकों से परामर्श कर रहे हैं।
जैन ने इस संबंध में शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार का हलफनामा भी दाखिल किया। उन्होंने पीठ को बताया कि पंजाब सरकार ने पंजाब विश्वविद्यालय के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 65 करने के प्रस्ताव का विरोध किया है।
जैन ने दलील दी कि वित्तीय मुद्दों सहित अन्य मुद्दों पर अन्य हितधारकों से भी परामर्श किया जाना है। इसलिए, उन्होंने भारत सरकार को अंतिम निर्णय लेने के लिए दो महीने का समय मांगा। जैन की दलील पर गौर करते हुए पीठ ने सुनवाई 21 जनवरी तक स्थगित कर दी ताकि केंद्र इस मुद्दे पर उचित निर्णय ले सके और उसे उच्च न्यायालय के समक्ष रख सके।


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