November 28, 2024
Chandigarh

चंडीगढ़ समाचार: कर्मचारी का वेतन न देने पर मेयर अनूप गुप्ता की संपत्ति अटैच करने का ऑर्डर, जानें- पूरा मामला

अदालत ने यह फैसला अगस्त 2017 में नौकरी से निकाले गए कर्मचारी कांता प्रसाद की याचिका में सुनाया है। 2023 में लेबर कोर्ट ने कांता प्रसाद के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बाद कांता ने अदालत के आदेश के पालन नहीं करने पर एक और याचिका दाखिल की थी। चंडीगढ़ जिला अदालत ने सात साल पहले नौकरी से निकाले गए कर्मचारी के वेतन का भुगतान न करने पर चंडीगढ़ के मेयर अनूप गुप्ता की सेक्टर-26 में संचालित दो आरा मिलों को अटैच करने का आदेश दिया है। अदालत ने जिन दो कंपनियों को अटैच करने का आदेश दिया है, उनमें चंडीगढ़ के सेक्टर-26 में स्थित कालका टिंबर स्टोर और गुप्ता सॉ मिल्स के मालिक मेयर अनूप गुप्ता हैं।

अदालत ने यह फैसला अगस्त 2017 में नौकरी से निकाले गए कर्मचारी कांता प्रसाद की याचिका में सुनाया है। 2023 में लेबर कोर्ट ने कांता प्रसाद के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बाद कांता ने अदालत के आदेश के पालन नहीं करने पर एक और याचिका दाखिल की थी। लेबर कोर्ट ने मार्च 2023 में कर्मचारी के हक में फैसला सुनाते हुए मिल प्रबंधन को 2.10 लाख रुपये की राशि ब्याज के साथ कांता प्रसाद को बतौर मुआवजा अदा करने का निर्देश दिया था लेकिन मिल प्रबंधन ने आदेश का पालन नहीं किया। इसके बाद कांता प्रसाद ने जिला अदालत में याचिका दायर कर दी। मिल के मालिक अनूप गुप्ता अदालत में पेश नहीं हुए। इस मामले की सुनवाई करते हुए ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रमोद कुमार की अदालत ने उनकी संपत्ति को अटैच करने का निर्देश दिया। अदालत में मामले की अगली सुनवाई छह जनवरी 2024 को होगी।

शिकायतकर्ता के वकील अनूप सिंह सैणी ने बताया कि कांता प्रसाद 1989 से सेक्टर-26 स्थित मिल में आरा मिस्त्री के तौर पर काम करते थे। 26 साल से काम कर रहे कांता का मासिक वेतन 15 हजार रुपये था। 23 अगस्त 2017 को प्रबंधन ने उसे नौकरी से निकाल दिया। प्रबंधन ने उसका 22 दिन का वेतन और अन्य देय राशि भी नहीं दी। नौकरी से निकाले जाने की वजह पूछने पर कुछ स्पष्ट जवाब नहीं दिया। इसके बाद कांता प्रसाद ने मिल प्रबंधन के खिलाफ इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल-कम-लेबर कोर्ट में केस दायर कर दिया। जहां लेबर कोर्ट ने 28 मार्च 2023 को कांता प्रसाद के हक में फैसला सुनाया और मिल प्रबंधन को 2.10 लाख रुपये की राशि नौ प्रतिशत की ब्याज दर से देने का निर्देश दिया था।

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