श्री राम मूर्ति स्मारक ट्रस्ट (एसआरएमएस), बरेली ने शहर की साहित्य जगत की जानी-मानी हस्ती नरेश को प्रतिष्ठित राम मूर्ति प्रतिभा अलंकरण-2024 पुरस्कार से सम्मानित किया है।
यह प्रतिष्ठित सम्मान साहित्य और अध्यात्म के क्षेत्र में डॉ. नरेश के अद्वितीय योगदान के आलोक में दिया गया है, जो इन क्षेत्रों में उनके आजीवन समर्पण और प्रभाव को दर्शाता है।
यह सम्मान समारोह उत्तर प्रदेश के बरेली में ट्रस्ट के ‘श्रद्धांजलि समारोह’ के दौरान आयोजित किया गया।
पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में आधुनिक साहित्य के पूर्व प्रोफेसर और चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. नरेश एक प्रसिद्ध उर्दू कवि हैं, जिनके साहित्य में योगदान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया है।
उनके पास उर्दू और हिंदी में स्नातकोत्तर की डिग्री और इन दोनों भाषाओं की कविता पर पीएचडी की डिग्री है।
अपने विचार साझा करते हुए डॉ. नरेश ने कहा: “यह सम्मान, राम मूर्ति प्रतिभा अलंकरण, ट्रस्ट की उन व्यक्तियों को सम्मानित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जो इसके संस्थापक श्री राम मूर्ति जी की भावना और दृष्टि को मूर्त रूप देते हैं। मैं उनके बीच आकर खुश हूँ।”
यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि डा. नरेश की साहित्यिक दुनिया में यात्रा 1963 में उनकी पुस्तक ‘ग़म-ए-फ़र्दा’ से शुरू हुई, जिसमें उन्होंने भविष्य के बारे में अपने विचार व्यक्त किए थे।
उसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बरेली में मिले इस पुरस्कार के साथ ही डॉ. नरेश ने अपनी उपलब्धियों में एक और उपलब्धि जोड़ ली है – इस सम्मान के साथ ही अब तक उनके खाते में कुल 43 पुरस्कार आ चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि डॉ. नरेश को भारत सरकार की ओर से ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उनकी कविता पुस्तक ‘खुशबू का सफर’ के लिए उन्हें अखिल भारतीय मीर अकादमी पुरस्कार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी का पुरस्कार भी मिल चुका है।
इसके अलावा उन्हें पंजाब सरकार द्वारा ‘शिरोमणि साहित्यकार पुरस्कार’ तथा हरियाणा सरकार द्वारा ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया जा चुका है।
श्री राम मूर्ति स्मारक ट्रस्ट, बरेली की स्थापना वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश और परोपकारी श्री राम मूर्ति की स्मृति में की गई थी। अपने संस्थापक के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए साहित्य, कविता और कला को बढ़ावा देने में ट्रस्ट का योगदान महत्वपूर्ण रहा है।
ट्रस्ट द्वारा यह सम्मान चंडीगढ़ के साहित्यकार डॉ. नरेश के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
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