पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने मंगलवार को पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट और सिंडिकेट के पुनर्गठन के मुद्दे पर भाजपा नीत केंद्र की आलोचना की और आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस द्वारा इस विश्वविद्यालय को व्यवस्थित तरीके से खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। चन्नी 28 अक्टूबर की अधिसूचना के माध्यम से पंजाब विश्वविद्यालय के शासी निकायों – सीनेट और सिंडिकेट – के पुनर्गठन के केंद्र के नवीनतम कदम के खिलाफ पीयू छात्रों द्वारा चल रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए।
अधिसूचना में पंजाब विश्वविद्यालय अधिनियम, 1947 में संशोधन किया गया है, जिसके तहत सीनेट का आकार घटाकर 31 कर दिया गया है, इसके कार्यकारी निकाय, सिंडिकेट के लिए चुनाव समाप्त कर दिए गए हैं, तथा सीनेट के स्नातक निर्वाचन क्षेत्र को समाप्त कर दिया गया है।
छात्र इस साल जून में पीयू द्वारा पेश किए गए “नो-प्रोटेस्ट” हलफनामे को वापस लेने की भी मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों ने इसे “अलोकतांत्रिक” बताते हुए दावा किया है कि इस हलफनामे में छात्रों को यह घोषणा करनी होगी कि वे परिसर में किसी भी विरोध प्रदर्शन या प्रदर्शन में भाग नहीं लेंगे। पंजाब विश्वविद्यालय कैंपस छात्र परिषद के महासचिव अभिषेक डागर हलफनामे के मुद्दे पर भूख हड़ताल पर हैं।
मीडिया से बात करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता चन्नी ने पीयू के शासी निकायों के पुनर्गठन के लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह लोकतंत्र की हत्या है।’’ चन्नी ने आरोप लगाया, ‘‘भजपा और आरएसएस द्वारा विश्वविद्यालय को व्यवस्थित तरीके से खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।’’
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि आरएसएस ने विश्वविद्यालय को “पूरी तरह से नियंत्रित” कर लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीनेटरों की संख्या 91 से घटकर 31 रह गई है। उन्होंने कहा, “हम इसका मुकाबला करेंगे।” उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से इस मुद्दे पर चर्चा के लिए पंजाब विधानसभा का सत्र बुलाने का आग्रह किया।
जालंधर के सांसद ने आगे कहा कि वह इस मामले को संसद में उठाएंगे। उन्होंने मांग की कि पीयू की सीनेट और सिंडिकेट के पुनर्गठन का निर्णय वापस लिया जाए।

