September 19, 2025
National

चतुर्दशी श्राद्ध : अकाल मृत्यु प्राप्त पितरों को दिलाएं मुक्ति, शनि देव का भी प्राप्त करें आशीर्वाद

Chaturdashi Shraddha: Liberate ancestors who died prematurely and also receive the blessings of Shani Dev.

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध शनिवार को है। यह श्राद्ध उन लोगों के लिए किया जाता है, जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो। इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा सिंह राशि में रहेंगे।

द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।

चतुर्दशी श्राद्ध को ‘घट चतुर्दशी’, ‘घायल चतुर्दशी’, और ‘चौदस श्राद्ध’ भी कहा जाता है।

गरुड़ पुराण के अनुसार, चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है, जिनकी अकाल मृत्यु (जैसे दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या आदि) हुई हो। स्वाभाविक मृत्यु वाले पितरों का श्राद्ध इस तिथि पर नहीं किया जाता। इस श्राद्ध से संतुष्ट होकर पितर परिवार को सुख, समृद्धि, यश और लंबी आयु का आशीर्वाद देते हैं।

इसी के साथ ही, यह दिन शनिवार का है, जो शनिदेव को समर्पित है।

अग्नि पुराण में उल्लेखित है कि शनिवार का व्रत रखने से साधक को शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति मिलती है। यह व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से शुरू किया जा सकता है।

मान्यताओं के अनुसार, सात शनिवार व्रत रखने से शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। इसके साथ ही शनिदेव की विशेष कृपा भी मिलती है।

सूर्य पुत्र शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए आप इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। इसके बाद शनिदेव की प्रतिमा को जल से स्नान कराएं, उन्हें काले वस्त्र, काले तिल, काली उड़द की दाल और सरसों का तेल अर्पित करें और उनके सामने सरसों के तेल का दिया जलाएं। रोली, फूल आदि चढ़ाने के बाद जातक को शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।

इसके साथ ही सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का भी पाठ करना चाहिए और राजा दशरथ की रचना ‘शनि स्तोत्र’ का पाठ भी करें और ‘शं शनैश्चराय नम:’ और ‘सूर्य पुत्राय नम:’ का जाप करें।

मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर शनिदेव का वास होता है। हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और छाया दान करना (सरसों के तेल का दान) बेहद शुभ माना जाता है और इससे नकारात्मकता भी दूर होती है।

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