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उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न हुआ छठ पर्व, व्रतियों ने 36 घंटे बाद खोला उपवास

Chhath festival concluded with Arghya to the rising sun, devotees broke their fast after 36 hours

नई दिल्ली/मुजफ्फरपुर 8 नवंबर। लोक आस्था के प्रतीक चार दिवसीय महापर्व छठ के अंतिम दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया गया। भारी संख्या में आस्थावान दिल्ली में बने विभिन्न घाटों पर पहुंचे और भगवान भास्कर को नमन किया। यमुना घाट पर ऐसे व्रती भी थे जो किसी कारणवश अपने गांव घर नहीं जा पाए और उन्होंने यहीं पर अपने अपनों संग छठ मनाया। वहीं, दिल्ली के अलावा झारखंड के दुमका और बिहार के मुजफ्फरपुर में भी व्रती विधिवत अर्घ्य देती दिखीं।

36 घंटे बाद महिलाओं ने भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर उपवास तोड़ा। इनमें से कुछ से आईएएनएस ने बात की। यहां पर छठ पूजा करने पहुंची उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की रहने वाली गुड्डी मिश्रा ने बताया कि यह बहुत ही पवित्र त्यौहार है, हर बार इसको मनाने के लिए घर जाती हूं, लेकिन इस बार नहीं जा पाई और दिल्ली में ही छठ करना पड़ रहा है।

उन्होंने बताया कि मान्यताएं कई हैं। घर की सुख समृद्धि और वंश वृद्धि के लिए इसे किया जाता है। छठ करने से कोई भी मन्नत पूरा हो जाती है। कार्तिक छठ का सब बेसब्री से इंतजार करते हैं, जिसके लिए महिलाएं काफी उत्साहित होती हैं और हम इसको बहुत ही धूम-धाम से मनाते हैं। इसमें सूर्य भगवान की आराधना करते हैं। मैंने छठ के अंतिम दिन उगते हुए सूरज को दूध से अर्घ्य दिया। इसके बाद अब हम उपवास तोड़कर कुछ खाएंगे पिएंगे।

एक अन्य व्रती महिला ने बताया छठ पूजा बिहार, झारखंड और यूपी में समान भाव से मनाया जाता है, लेकिन अब अच्छा लगता है कि लोकपर्व देश दुनिया में पूरे उत्साह से मनाया जाता है। दिल्ली में भी महापर्व मनाने के लिए लोगों की अधिक तादाद देखने को मिल रही है। छठ के समय ट्रेनों में बहुत भीड़ होता है, टिकट मिलना बहुत मुश्किल होता है, जिसके कारण हम लोग दिल्ली में ही छठ मनाते हैं।

छठ के समय घर की याद आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि घर की याद तो आती है। गांव में घर के पूरे सदस्य होते हैं। अपना परिवार होता है, सभी लोग मिलकर छठ मनाते हैं, तो उसका अलग अहसास होता है।

वहीं, बिहार के मुजफ्फरपुर में भी महापर्व के आखिरी दिन श्रद्धालुओं की भीड़ दिखी। जिले में 127 घाटों पर लाखों की संख्या में छठ व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। यहां भी हजारों की संख्या में घरों के आंगन और छतों पर कृत्रिम घाट बनाकर व्रती महिलाओं ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया।

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