N1Live National छत्तीसगढ़ : कोरबा के दीपका कोयला खदान के डस्ट से क्षेत्रवासियों को हो रही परेशानी
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छत्तीसगढ़ : कोरबा के दीपका कोयला खदान के डस्ट से क्षेत्रवासियों को हो रही परेशानी

Chhattisgarh: People of Korba's Dipka coal mine's dust is causing problems for the residents

साउथ ईस्ट कोलफील्ड लिमिटेड (एसईसीएल) की दीपका कोयला खदान से निकलने वाली कोल डस्ट के कारण सिरकी खुर्द के ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। इस मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने अपने क्षेत्रीय अधिकारी से प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नौ सूत्रीय मांग पत्र सौंपा है।

ग्रामीणों ने उपसरपंच कमलेश्वरी दिव्या और ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के दीपका इकाई अध्यक्ष प्रकाश कोर्राम के नेतृत्व में यह ज्ञापन छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी को प्रस्तुत किया। ज्ञापन में कहा गया कि कोल डस्ट के कणों से न केवल पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका गंभीर असर हो रहा है।

ग्रामीणों ने एसईसीएल के प्रबंधन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि कोयला गाड़ियों से निकलने वाली धूल की वजह से उनके गांव में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है, और इससे गांव में रहने वाले लोग सांस की बीमारियों, अस्थमा, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

ज्ञापन में यह भी कहा गया कि एसईसीएल को अपनी कोल गाड़ियों के संचालन में सुधार करना होगा ताकि प्रदूषण का स्तर कम किया जा सके। साथ ही, अधिकारियों से यह भी अनुरोध किया गया कि वे इस मुद्दे पर जल्द से जल्द कार्यवाही करें और जहर से भरी कोल डस्ट के प्रभाव को नियंत्रित करने के उपाय करें।

साउथ ईस्ट कोलफील्ड लिमिटेड (एसईसीएल) दीपका परियोजना के विस्तार को लेकर प्रशासन और प्रबंधन द्वारा ग्रामीणों के अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि एसईसीएल द्वारा अपने मिलियन टन कोयला उत्पादन के टारगेट को पूरा करने के लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं, जिससे कई गांवों को विलोपित कर दिया गया है और ग्रामीणों के बीच मतभेद पैदा किए जा रहे हैं। इसके साथ ही, एसईसीएल ने गांव के देवस्थल और समुदायों की आस्था को भी नजरअंदाज किया है।

सिरकी खुर्द ग्राम की नवनिर्वाचित उपसरपंच कमलेश्वरी दिव्या ने बताया कि दीपका से प्रतिदिन हजारों कोयला गाड़ियां श्रमिक चौक दीपका से गांधीनगर-बतरी मार्ग होते हुए अपने गंतव्य की ओर जाती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि दीपका प्रबंधन कोल डस्ट से संबंधित पर्यावरणीय अधिनियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रहा है और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।

कई बार दीपका प्रबंधन को लिखित और मौखिक शिकायतें दी गई हैं, लेकिन इसके बावजूद ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे दुष्प्रभावों की अनदेखी की जा रही है। नतीजतन, गांव के बच्चे और महिलाएं गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। उनका कहना है कि एसईसीएल ने ग्रामवासियों के मुआवजा, रोजगार और पुनर्वास की व्यवस्था के लिए एक भी कदम नहीं उठाया है।

इस बीच, ग्रामवासियों की समस्याएं आज भी जस की तस बनी हुई हैं और वे अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं। ग्रामीणों ने दीपका प्रबंधन से प्रदूषण को नियंत्रित करने, मुआवजे की व्यवस्था करने और पुनर्वास की प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग की है।

कुछ दिन पहले किए गए सर्वेक्षण में सामने आया है कि दीपका क्षेत्र में वायु गुणवत्ता का स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच चुका है। सर्वे के अनुसार, दीपका में पीएम 2.5 का स्तर 374 और पीएम 10 का स्तर 411 तक पहुंच गया है, जो वायु प्रदूषण के लिहाज से बेहद खतरनाक है। जैसे ही शाम हुई, पूरा क्षेत्र धुंध और धूल की चादर में समा गया, जिससे स्थानीय निवासियों को आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं होने लगीं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से दीपका क्षेत्र की हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है, जिससे क्षेत्र के निवासियों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे का सामना हो रहा है। इस गंभीर स्थिति के बीच, ग्रामीणों ने प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर गंभीर चिंता जताई है।

इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के दीपका इकाई अध्यक्ष प्रकाश कोर्राम ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। उन्होंने कहा, “दीपका के अधिकारी लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। कोल डस्ट प्रदूषण के कारण गांव के ग्रामीण जहर पीने को मजबूर हैं। दीपका प्रबंधन और उनके अधिकारियों ने सिर्फ अपनी कोयला खदान के विस्तार को महत्व दिया है, जबकि प्रदूषण से ग्राम सिरकी खुर्द सहित पूरा क्षेत्र घिरा हुआ है।”

प्रकाश कोर्राम ने यह भी कहा कि दीपका प्रबंधन और अधिकारियों द्वारा पर्यावरण अधिनियम के कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस प्रकार का लापरवाह रवैया जारी रहा, तो उनकी समिति उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होगी।

ग्रामीणों की मांग है कि दीपका प्रबंधन तत्काल प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को लागू करें और क्षेत्रीय निवासियों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए।

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