हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज कहा कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर वैश्विक समस्या बनकर उभरा है और यदि इसका स्थायी समाधान शीघ्र नहीं निकाला गया तो वर्तमान और भावी दोनों पीढ़ियों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
आज यहाँ ‘हिमाचल प्रदेश मानव विकास रिपोर्ट-2025’ जारी करते हुए उन्होंने कहा कि यह दस्तावेज़ राज्य की प्रगति, लचीलेपन और लोगों की आकांक्षाओं को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश हमेशा से पर्यावरण-अनुकूल विकास की वकालत करने में सक्रिय और संवेदनशील रहा है और उसने सतत विकास ढाँचे को अपनाया है।
हिमाचल प्रदेश का मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) 0.78 राष्ट्रीय औसत 0.63 से बेहतर बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मानव विकास रिपोर्ट 2025 राज्य की प्रगति, लचीलेपन और लोगों की आकांक्षाओं को दर्शाती है। उन्होंने कहा, “राज्य की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और मौसम संबंधी चुनौतियों के बावजूद, यह रिपोर्ट विकास की एक अनुकरणीय कहानी प्रस्तुत करती है, जो लोगों की दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत से संभव हुई है।”
सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने कभी भी अपने जंगलों, नदियों या पहाड़ों का गैर-ज़िम्मेदाराना दोहन नहीं किया है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के प्रभाव किसी एक जगह तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर इसके दूरगामी प्रभाव हैं। इस साल मानसून के दौरान, हिमाचल प्रदेश को जलवायु परिवर्तन के कारण पहले ही भारी नुकसान उठाना पड़ा है, जिसमें बहुमूल्य जानें गईं और भारी वर्षा, बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ के कारण सार्वजनिक और निजी संपत्ति को भारी नुकसान पहुँचा।
सुक्खू ने कहा कि राज्य के पहाड़, नदियाँ, जंगल और ग्लेशियर ग्लोबल वार्मिंग का शिकार हो रहे हैं, जिसके कारण राज्य अत्यधिक वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। उन्होंने कहा, “इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, विश्व को एक परिवार की तरह काम करना होगा और पर्यावरण संरक्षण के लिए मिलकर काम करना होगा, जिससे योजनाबद्ध आर्थिक विकास सुनिश्चित हो सके। आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा के लिए भविष्य मानव-केंद्रित और जलवायु-अनुकूल होना चाहिए।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने के लिए राज्य सरकार ने 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्व-रोजगार स्टार्ट-अप योजना शुरू की है, जिसके तहत ई-टैक्सियों की खरीद पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। उन्होंने कहा, “हिमाचल प्रदेश एक मज़बूत इलेक्ट्रिक वाहन नीति अपनाने वाला पहला पहाड़ी राज्य बन गया है, जो एक मिसाल कायम करता है। हमारा लक्ष्य 2030 तक सार्वजनिक परिवहन का विद्युतीकरण करके हरित लक्ष्यों को प्राप्त करना है।”

