मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कैथल जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना में कथित अनियमितताओं को लेकर पांच अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया है। सीवान के एक सहायक ब्लॉक पंचायत अधिकारी (एबीपीओ) और सरस्वती हेरिटेज डिवीजन-3 के चार जूनियर इंजीनियरों सहित अधिकारियों को उनके संबंधित निदेशालयों या मुख्यालय में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है।
एक अधिकारी ने बताया, “कैथल जिले में मनरेगा के तहत भ्रष्टाचार से संबंधित खबरें कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थीं। इन रिपोर्टों पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने इन अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया है।”
सीएम ने ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक को आरोपों की जांच करने और विसंगतियों की पुष्टि होने पर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। अधिकारी ने कहा, “यदि कोई विसंगति पाई जाती है, तो कानून या नियमों के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी। विकास एवं पंचायत विभाग के आयुक्त और सचिव को 15 दिनों के भीतर इस मामले पर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।”
हाल ही में जिला स्तरीय विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक में यह मामला प्रकाश में आया, जहां कुरुक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल ने पिछले 10 महीनों में पूरे किए गए 18 करोड़ रुपये के मनरेगा कार्यों की जांच की मांग की।
सूत्रों ने खुलासा किया कि कथित घोटाले में विदेश में रहने वाले व्यक्तियों के लिए फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए थे। हालांकि इन व्यक्तियों ने इस योजना के तहत काम नहीं किया, लेकिन उनकी उपस्थिति गलत दर्ज की गई और मजदूरी का गबन किया गया।
मुख्यमंत्री की त्वरित कार्रवाई जन कल्याणकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।