नई दिल्ली, 2 नवंबर सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने अपनी स्थापना के 50वें वर्ष में प्रवेश किया है।
कंपनी ने 1975-76 के दौरान 89 मिलियन टन (एमटी) से 8.7 गुना वृद्धि दर्ज करते हुए वित्त वर्ष 2024 में 773.6 मीट्रिक टन उत्पादन किया है।
कोल इंडिया अपनी पूरी सप्लाई का 80 प्रतिशत अत्यधिक प्रतिस्पर्धी दरों पर कोल बेस्ड पावर प्लांट को देता है।
इसी के साथ सीआईएल भारतीय नागरिकों को उचित मूल्य पर बिजली प्राप्त करने में सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
देश की सबसे बड़ी कोयला कंपनी 1 नवंबर, 1975 को राष्ट्रीयकृत कोकिंग कोल (1971) और नॉन-कोकिंग खदानों (1973) की शीर्ष होल्डिंग कंपनी के रूप में अस्तित्व में आई थी।
सीआईएल के कर्मचारियों की संख्या राष्ट्रीयकरण के शुरुआती वर्षों के 6.75 लाख कर्मचारियों से लगभग एक तिहाई घटकर अब 2.25 लाख हो गई है। हालांकि, समय के साथ कंपनी के उत्पादन में बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
कोयला क्षेत्र की दिग्गज कंपनी को बधाई देते हुए केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा, “कोल इंडिया अपने स्वर्ण जयंती वर्ष में प्रवेश कर रही है और इसके खाते में कई उपलब्धियां हैं।
मैं कंपनी को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। भारत में कोयले को अभी अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचना बाकी है। महंगे आयात से बचने के लिए स्वदेशी उत्पादन बहुत जरूरी है।
कोल इंडिया को भविष्य में लोगों के लिए सामाजिक जिम्मेदारी, कल्याण और सुरक्षा को समान महत्व देते हुए उत्पादन को उच्च स्तर तक बढ़ाना होगा।”
कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “सीआईएल के लिए यह पांच दशक की यात्रा बहुत ही अलग रही है।
कंपनी ने कई बदलावों, चुनौतियों, परीक्षणों और परेशानियों का सामना किया, लेकिन वह सब करने में सफल रही, जिसकी उससे अपेक्षा की गई थी।
एक विशुद्ध कोयला उत्पादक कंपनी से, कोल इंडिया अब राष्ट्रीय हित में सौर ऊर्जा, खदान बिजलीघरों, कोयला गैसीकरण और महत्वपूर्ण खनिजों में विविधता ला रही है।”
वर्ष 2007 से सीआईएल औपचारिक रूप से अपने स्थापना दिवस समारोह को एक आंतरिक कार्यक्रम के रूप में मना रहा है।
इसमें पूर्व अध्यक्ष या उद्योग विशेषज्ञ द्वारा जे.बी. कुमारमंगलम स्मारक व्याख्यान और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वालों को पुरस्कार प्रदान करना शामिल है।
इस वर्ष भी कंपनी 3 नवंबर को कोलकाता में कार्यक्रम मनाएगी, जिसमें कोयला मंत्री मुख्य अतिथि होंगे।