नई दिल्ली, 18 दिसंबर। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर राज्यसभा में आयोजित चर्चा के दौरान विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि संविधान संशोधनों से पार्टियों के कैरेक्टर के बारे में पता चलता है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि आज हम जिस मुकाम पर खड़े हैं, उस मुकाम पर महर्षि अरविंद और स्वामी विवेकानंद की वो भविष्यवाणी सच होती दिखाई पड़ती है कि भारत माता अपनी देदीप्यमान ओजस्वी स्वरूप में जब खड़ी होंगी, तब दुनिया की आंखें चकाचौंध हो जाएगी और पूरी दुनिया रोशनी के साथ भारत की ओर देखेगी।
उन्होंने कहा, “इंदिरा गांधी की सरकार में 45वां संशोधन किया गया और कांग्रेस ने निर्लज्जता के साथ संविधान में संशोधन किया। यही नहीं, कांग्रेस ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का भी विरोध किया। हमारे पीएम कहते हैं कि वह प्रधानमंत्री नहीं बल्कि प्रधान सेवक हैं।”
उन्होंने संविधान संशोधन का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा ने 16 साल तक शासन किया और संविधान में 22 संशोधन किए। इसके विपरीत, कांग्रेस पार्टी ने 55 साल तक शासन किया और 77 संशोधन किए। दोनों पार्टियों ने संविधान में संशोधन किए हैं। संशोधनों को लागू करने के अलग-अलग तरीके हैं, कुछ संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करते हैं, जबकि अन्य केवल औपचारिकता के तौर पर किए जा सकते हैं। संविधान में संशोधन के पीछे के उद्देश्यों की जांच करके किसी पार्टी के चरित्र और इरादों को समझा जा सकता है।
अमित शाह ने आगे कहा, “कोई ये न समझे कि हमारा संविधान दुनिया के संविधानों की नकल है। हां, हमने हर संविधान का अभ्यास जरूर किया है, क्योंकि हमारे यहां ऋग्वेद में कहा गया है, हर कोने से हमें अच्छाई प्राप्त हो, सुविचार प्राप्त हो और सुविचार को स्वीकारने के लिए मेरा मन खुला हो। हमने सबसे अच्छा लिया है, लेकिन हमने अपनी परंपराओं को नहीं छोड़ा है। पढ़ने का चश्मा अगर विदेशी है, तो संविधान में भारतीयता कभी दिखाई नहीं देगी।”
केंद्रीय गृह मंत्री ने राज्यसभा में कहा कि संविधान की रचना के बाद डॉ. अंबेडकर ने बहुत सोच समझकर एक बात कही थी कि कोई संविधान कितना भी अच्छा हो, वह बुरा बन सकता है, अगर जिन पर उसे चलाने की जिम्मेदारी है, वो अच्छे नहीं हों। उसी तरह से कोई भी संविधान कितना भी बुरा हो, वो अच्छा साबित हो सकता है, अगर उसे चलाने वालों की भूमिका सकारात्मक और अच्छी हो। ये दोनों घटनाएं हमने संविधान के 75 साल के कालखंड में देखी हैं।
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