शिमला, 13 सितंबर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बुधवार को शिमला के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास प्रयासों का जायजा लिया।
दोनों ने शिव बावरी में प्रभावित परिवारों से बातचीत की और घटना में हुए जान-माल के नुकसान पर दुख जताया। प्रियंका गांधी ने मीडिया से बातचीत करते हुए इस मानसून के मौसम में मूसलाधार बारिश से हुई तबाही की गंभीरता पर जोर दिया और केंद्र सरकार से भारी नुकसान को ध्यान में रखते हुए इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का आग्रह किया।
हिमाचल प्रदेश में हालात बेहद दर्दनाक हैं। राज्य को भारी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार आपदा प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए अथक प्रयास कर रही है।
ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार हिमाचल प्रदेश की स्थिति की गंभीरता को समझने में असमर्थ है। राज्य में नुकसान इतना ज्यादा है कि राज्य सरकार इसे अकेले नहीं संभाल सकती। इसलिए, केंद्र सरकार को तुच्छ राजनीति से ऊपर उठकर इस चुनौतीपूर्ण समय में राज्य के लोगों की मदद करनी चाहिए।
प्रियंका गांधी ने राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठने की जरूरत पर जोर दिया और जरूरत के इस समय में हिमाचल प्रदेश की सहायता के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि हालांकि कांग्रेस को संसद के विशेष सत्र के दौरान लाए जाने वाले एजेंडे के बारे में जानकारी नहीं थी, पार्टी इस विशेष सत्र के दौरान इस मुद्दे को उठाएगी और राज्य के लिए विशेष राहत पैकेज का आग्रह करेगी।
पार्टी इस मामले को संसद में केंद्र सरकार के सामने रखेगी। केंद्र सरकार को केवल पार्टी लाइनों के आधार पर मामले का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए और कष्टों को कम करने तथा राज्य को इस विनाशकारी आपदा से उबरने में मदद करने के लिए पूरे दिल से समर्थन देना चाहिए।
प्रियंका गांधी ने उन लोगों द्वारा प्रदर्शित एकता और सहयोग की भावना की भी सराहना की जो इस त्रासदी से निपटने में योगदान देने के लिए आगे आ रहे थे। कुल्लू जिले में सड़कों को फिर से खोलने के लिए लोगों के निस्वार्थ योगदान को देखना बहुत सुखद था, यहां तक कि महिलाओं ने भी अपना श्रम दान किया।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क 35 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करने का भी हिमाचल के सेब उत्पादकों पर असर पड़ा है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्य के सेब उत्पादकों के बजाय अमेरिकियों की मदद कर रही है, जो पहले ही तबाही के कारण कठिनाइयों से गुजर चुके हैं। बड़े व्यापारिक घराने हिमाचल में सेब की उपज की खरीद के लिए कम कीमतों की पेशकश कर रहे हैं।
वहीं, मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अपने सीमित संसाधनों के बावजूद प्रभावित परिवारों को अटूट समर्थन दे रही है और राहत शिविरों में रहने वाले प्रभावित परिवारों को निश्चित किराया प्रदान करने का निर्णय लिया है ताकि वे उपयुक्त आवास किराए पर ले सकें।
उन्होंने कहा कि सरकार किराया खर्च वहन करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 5,000 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 10,000 रुपये प्रदान करेगी। बड़े पैमाने पर हुई तबाही को देखते हुए कई जिलों में बड़ी संख्या में अस्थायी राहत शिविर बनाए गए हैं। इनमें से कई राहत शिविर अस्थायी आवासों और स्कूलों आदि में स्थापित किए गए हैं।
इसे देखते हुए राज्य सरकार ने राहत शिविरों में रहने वाले परिवारों को किराए पर आवास उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।
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