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मध्य प्रदेश में कांग्रेस की ओबीसी को लुभाने की रणनीति

Congress's strategy to woo OBCs in Madhya Pradesh

भोपाल, 9 नवंबर । मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को लुभाने के लिए एक तरफ जहां जातीय जनगणना का दांव चला है तो दूसरी ओर इस वर्ग से नाता रखने वाले नेताओं को भी मैदान में सक्रिय कर दिया है।

राज्य में 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं और सरकार बनाने के लिए 116 स्थान पर जीत जरूरी है। कांग्रेस बहुमत हासिल करने के लिए सबसे बड़ी आबादी ओबीसी को लुभाने में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ रही है। यही कारण है कि कांग्रेस ने लगभग 27 प्रतिशत यानी कि 60 के करीब इस वर्ग के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। तो, वहीं ऐसे नेताओं को भी सक्रिय किया है, जिनकी इस वर्ग में पकड़ है।

राज्य की सियासत में ओबीसी वर्ग का खासा प्रभाव है और वह चुनाव में निर्णायक स्थिति में भी है। राज्य का विंध्य और बुंदेलखंड तो वह इलाका है, जहां इस वर्ग के मतदाता सीधे तौर पर चुनाव नतीजा बदलने में सक्षम हैं। यही कारण रहा कि कांग्रेस ने विंध्य क्षेत्र से नाता रखने वाले ओबीसी नेट राजमणी पटेल को राज्यसभा में भेजा। पार्टी ने अब इस वर्ग के नेताओं को चुनाव प्रचार के काम में भी लगा रखा है।

लोधी वर्ग से नाता रखने वाली साधना भारती को पार्टी ने बुंदेलखंड इलाके में प्रचार के लिए भेजा है। पार्टी की स्टार प्रचारक सूची में नाम न होने से नाराज भारती ने प्रचार करने से ही इनकार कर दिया था। आखिरकार प्रदेश नेतृत्व ने उन्हें प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी और वे देवरी के अलावा बड़ा मलहरा भी प्रचार करने पहुंची।

इसके अलावा पार्टी ने ओबीसी नेता और प्रदेश संगठन के महामंत्री पवन पटेल को भी इस क्षेत्र में सक्रिय किया है और जिम्मेदारी सौंपी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य के कई हिस्से ऐसे हैं, जहां ओबीसी वोटर निर्णायक हैं और नतीजों को सीधे तौर पर प्रभावित करने की स्थिति में हैं।

लिहाजा कांग्रेस ने इसी वर्ग से जुड़े नेताओं को सक्रिय किया है जो मतदाताओं को कांग्रेस के पक्ष में तैयार करने में सक्षम हैं, अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस को लाभ होता दिखता है।

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