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भारतीय नौसेना के गोला-बारूद की सप्लाई में सक्षम शिप का निर्माण

Construction of ships capable of supplying ammunition to the Indian Navy

भारतीय नौसेना के दूसरे “फ्लीट सपोर्ट शिप (एफएसएस)” का निर्माण कार्य शुरू किया गया है। गुरुवार को इस संबंध में जानकारी देते हुए रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस शिप का निर्माण तमिलनाडु के कट्टुपल्ली में शुरू किया गया। पांच फ्लीट सपोर्ट शिप्स (एफएसएस) में से दूसरे शिप का निर्माण एलएंडटी शिपयार्ड द्वारा किया जा रहा है। 40,000 टन से अधिक विस्थापन वाले ये जहाज गोला-बारूद की सप्लाई में सक्षम हैं।

रक्षा मंत्रालय का मानना है कि इन शिप के आने से भारतीय नौसेना के समुद्री बेड़े की शक्ति में वृद्धि होगी। शिप का इस्तेमाल राहत और बचाव कार्यों के लिए भी किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ये जहाज ईंधन, पानी, गोला-बारूद और भंडार ले जाने के काम आएंगे। इससे नौसेना के लिए समुद्र में लंबे समय तक संचालन संभव होगा और बेड़े की पहुंच और गतिशीलता बढ़ेगी।

अपनी दूसरी भूमिका में, यह जहाज प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मुसीबत में फंसे लोगों को निकालने और राहत सामग्री के त्वरित वितरण के लिए काम कर सकता है। इसे मानवीय सहायता और आपदा राहत संचालन के लिए आवश्यक उपकरणों से सुसज्जित किया जाएगा। भारतीय नौसेना ने अगस्त 2023 में ऐसे पांच फ्लीट सपोर्ट शिप (एफएसएस) के अधिग्रहण के लिए हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। इस सपोर्ट शिप की आपूर्ति 2027 के मध्य से शुरू होगी।

सार्वजनिक-निजी साझेदारी की ताकत को प्रदर्शित करते हुए, हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने एलएंडटी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली को दो फ्लीट सपोर्ट शिप्स के निर्माण का अनुबंध दिया है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि देश की शिपबिल्डिंग क्षमता का प्रभावी उपयोग किया जा सके। इसका एक लाभ यह भी है कि समय सीमा को ध्यान में रखते हुए शिप्स की आपूर्ति की जा सकेगी।

नौसेना में इन शिप्स के शामिल होने से भारतीय नौसेना की ब्लू वॉटर क्षमता को मजबूती मिलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि ये शिप्स समुद्र में नौसेना के जहाजों के लिए ईंधन व गोला-बारूद के साथ-साथ अन्य रसद पहुंचाने में भी सक्षम होंगे। इन शिप्स का वजन 40,000 टन से अधिक होगा। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह परियोजना पूरी तरह से स्वदेशी डिजाइन पर आधारित है। इस परियोजना के लिए अधिकांश उपकरणों को स्वदेशी निर्माताओं द्वारा विकसित किया जा रहा है। यह कदम भारतीय शिप बिल्डिंग उद्योग को बढ़ावा देगा।

रक्षा मंत्रालय का यह भी कहना है कि यह सरकार के आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड पहल के अनुरूप है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय नौसेना के लिए नए शिप के निर्माण की शुरुआत के अवसर पर कंट्रोलर वारशिप प्रोडक्शन एंड एक्विजिशन वाइस एडमिरल राजाराम स्वामीनाथन, भारतीय नौसेना एवं हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड तथा एलएंडटी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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