भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज कहा कि इष्टतम वित्तीय समावेशन के लिए बैंकों और उपभोक्ताओं के बीच सहयोग और समन्वय आवश्यक है। उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) द्वारा आयोजित वित्तीय समावेशन संतृप्ति कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
मल्होत्रा ने वित्तीय साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा, “वित्तीय समावेशन और साक्षरता एक दूसरे के पूरक हैं। आरबीआई यह सुनिश्चित कर रहा है कि लोग वित्तीय समावेशन प्राप्त करने के लिए वित्तीय रूप से साक्षर हों ताकि उनके पैसे की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।”
मल्होत्रा ने कहा, “बैंक अपने ग्राहक आधार को मज़बूत कर रहे हैं और देश भर में वित्तीय समावेशन शिविरों का आयोजन किया जा रहा है ताकि जानकारी का प्रसार किया जा सके और अपने ग्राहक को दोबारा जानने (केवाईसी) जैसी अनिवार्य ज़िम्मेदारियों को पूरा करने पर ज़ोर दिया जा सके। वर्तमान में, देश भर में लगभग 1.65 लाख वाणिज्यिक बैंक ग्राहकों को विभिन्न सुविधाएँ प्रदान कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में, यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि 500 की आबादी वाली बस्ती के 5 किलोमीटर के दायरे में बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध हों।”
उन्होंने आगे कहा, “देश में लगभग 250 करोड़ बैंक खाते खोले जा चुके हैं और यह वित्तीय समावेशन की दिशा में पहला कदम है।” उन्होंने लोगों से अपने धन की सुरक्षा के लिए पुनः केवाईसी करवाने का आग्रह किया। उन्होंने उपभोक्ताओं से बैंकिंग और बीमा का लाभ उठाने के लिए जन सुरक्षा योजनाओं में नामांकन सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। उन्होंने आगे कहा, “देश में लगभग 55 करोड़ जन धन खातों में से 11 करोड़ खातों में पुनः केवाईसी हो चुकी है, जबकि शेष का काम अभी चल रहा है।”
आरबीआई गवर्नर ने कहा, “बैंक अन्य बैंकिंग योजनाओं के अलावा, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री दुर्घटना बीमा योजना, सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन बीमा योजना जैसी वित्तीय समावेशन की विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुँचाने का प्रयास करते हैं। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए, बैंक समय-समय पर लोगों को शिक्षित करने के लिए शिविर आयोजित करते हैं।”