लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) की घोर लापरवाही के कारण, जिले के कीर्तन गांव के निवासियों को जलापूर्ति के लिए बुनियादी ढांचा मौजूद होने के बावजूद जलघरों में पर्याप्त पानी उपलब्ध न होने के कारण गंभीर पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि राज्य सरकार ने पेयजल संकट से निपटने के लिए गांव में करीब 2 करोड़ रुपए खर्च कर नलकूप बनवाए हैं। उन्होंने कहा, “गर्मी का मौसम आते ही हालात और खराब हो गए हैं। नहर से गांव के ओवरहेड टैंक में पानी नहीं पहुंचा है, जिससे जलाशय सूख गया है। ग्रामीणों को मजबूरन टैंकरों से पानी खरीदना पड़ रहा है। रोजाना की जरूरतें पूरी करने के लिए उन्हें एक टैंकर पर 1,000 रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं। गांव की आबादी 7,000 है। सभी परिवार निजी टैंकरों से पानी खरीदते हैं।”
एक निवासी विकास रेप्सवाल ने बताया कि गांव में घरेलू जल आपूर्ति के लिए 2007 में जल संयंत्र और जल उपचार संयंत्र बनाया गया था, लेकिन यह कभी भी ठीक से काम नहीं कर पाया। उन्होंने कहा, “जब से संयंत्र बना है, तब से टैंक कभी नहीं भरे हैं, न ही हमारे घरों को पीने योग्य पानी मिला है।”
एक अन्य ग्रामीण दयानंद ने कहा कि कबीर माइनर नहर से कच्चा पानी सप्लाई किया जाना था, लेकिन इन-लेट चैनल गलत लेवल पर बनाया गया था, जिससे पानी जलाशय तक नहीं पहुंच पा रहा था। उन्होंने कहा कि विभाग ने इन-लेट चैनल को ठीक करने के लिए तीन बार प्रयास किए – अनुमान तैयार करना और पाइपलाइन फिर से बिछाना – लेकिन हर बार असफल रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि आखिरकार विभाग ने चैनल को पूरी तरह से बंद कर दिया।
एक अन्य निवासी मुकेश खरड़िया ने बताया कि कबीर माइनर स्रोत को छोड़ने के बाद विभाग ने चौधरी माइनर नहर से एक नया पंपिंग सिस्टम बनाया। लेकिन यह नया पंप हाउस भी गांव के जलाशय में पानी की आपूर्ति करने में विफल रहा।
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