सीएसआईआर-हिमालयी जैव-संसाधन प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी), पालमपुर के वैज्ञानिकों और परियोजना सहयोगियों की एक टीम ने हाल ही में कम तापमान वाले सेब और सुगंधित फसलों पर चल रहे शोध की निगरानी के लिए मणिपुर का दौरा किया। इस दौरे में इम्फाल, हराओरू, पूर्वी इम्फाल और हियांगथांग गाँवों का दौरा किया गया और वैज्ञानिक समीक्षा के साथ-साथ गहन किसान प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए गए।
विशेषज्ञों ने बाग प्रबंधन, छंटाई, पोषक तत्वों के प्रयोग और मणिपुर की कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल कम ठंड वाले सेब की किस्मों की खेती की तकनीकों पर व्यावहारिक कार्यशालाएँ आयोजित कीं। किसानों को सुगंधित फसलों पर भी प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें आवश्यक तेल निष्कर्षण और इन पौधों को पारंपरिक कृषि प्रणालियों में शामिल करने का प्रदर्शन भी शामिल था।
सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार यादव ने संवाददाताओं को बताया कि इन परियोजनाओं को हिमालय जैव-संसाधन मिशन के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर के गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में कम ठंड वाले सेबों को बढ़ावा देना, सुगंधित फसलों के रकबे का विस्तार करना, मूल्य संवर्धन को मज़बूत करना और किसानों में जागरूकता पैदा करना है।”
परियोजना के मुख्य वैज्ञानिक और प्रधान अन्वेषक डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि प्रशिक्षण में 50 से ज़्यादा किसानों ने भाग लिया। उन्होंने बताया, “हमने बाग़ लगाने, वैज्ञानिक छंटाई और पोषक तत्व प्रबंधन जैसे व्यावहारिक पहलुओं पर चर्चा की ताकि किसान खेत में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपना सकें।” टीम ने लगभग 20 एकड़ में फैले प्रदर्शन भूखंडों का भी निरीक्षण किया, जिनमें ब्रिक-जैव संसाधन एवं सतत विकास संस्थान के खेत भी शामिल थे। ये प्रदर्शन भूखंड जलवायु-अनुकूल बागवानी प्रथाओं के जीवंत मॉडल के रूप में काम करते हैं जिन्हें पूरे क्षेत्र में दोहराया जा सकता है।