हरियाणा सरकार ने भिवानी जिले के डाडम खनन क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए खान एवं भूविज्ञान विभाग के सात अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने का निर्णय लिया है।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को सौंपे गए हलफनामे में मुख्य सचिव विवेक जोशी ने बताया कि हरियाणा सिविल सेवा (दंड एवं अपील) नियम, 2016 के नियम 7 के तहत अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की जाएगी। ये अधिकारी 2017 से जनवरी 2022 के बीच विभाग में कार्यरत थे।
हलफनामे के अनुसार, जिन लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया जा रहा है उनमें खनन अधिकारी राजेंद्र प्रसाद, भूपेंद्र सिंह और निरंजन लाल; सहायक खनन अभियंता आरएस ठाकरान; तथा खनन निरीक्षक राजेश, मंजीत और सोनू शामिल हैं।
13 जनवरी को मुख्य सचिव को हलफनामे के ज़रिए जवाब दाखिल करने के निर्देश के बाद 27 जनवरी को हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। मामले की अगली सुनवाई 3 मार्च को होनी है।
दादम खदानों को शुरू में 29 अक्टूबर, 2015 से 22 नवंबर, 2017 तक मेसर्स सुंदर मार्केटिंग एसोसिएट्स को पट्टे पर दिया गया था। इसके बाद, खनन अधिकारों की फिर से नीलामी की गई और 11 अक्टूबर, 2018 को गोवर्धन माइंस एंड मिनरल्स ने बोली जीत ली।
इस क्षेत्र में खनन उल्लंघनों पर चिंता के कारण एक आवेदन दायर किया गया, जिसके बाद राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने जांच के लिए सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रीतम पाल की अध्यक्षता में एक समिति गठित की। हालांकि, समिति द्वारा अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले, एनजीटी ने 1 जनवरी, 2022 को खनन स्थल पर हुई एक दुखद दुर्घटना का स्वतः संज्ञान लिया, जिसमें पांच श्रमिकों की जान चली गई।
घटना के बाद, एनजीटी ने खनन कंपनी पर जुर्माना लगाया और तत्पश्चात डाडम में खनन कार्य बंद करा दिया। 27 जनवरी को उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव ने अदालत को मामले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ की जा रही अनुशासनात्मक कार्रवाई से अवगत कराया।
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