नाबालिग से बलात्कार के आरोप में जेल में बंद एक कैदी को गलत पहचान के कारण जिला जेल से रिहा कर दिया गया था, जिसे बिहार के पटना स्थित उसके गांव से पकड़ लिया गया। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी।
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उन्होंने बताया कि उसे शहर की एक अदालत में पेश किया गया और फिर से न्यायिक हिरासत में नीमका जेल भेज दिया गया।
नितेश पांडे को गलती से नीमका जेल से रिहा कर दिया गया, जबकि नितेश नामक एक अन्य कैदी को फरीदाबाद की एक अदालत से जमानत मिल गई थी, जिसके कारण पांच जेल अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया।
नितेश के पिता का नाम भी यही था, जिससे भ्रम की स्थिति और बढ़ गई।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपी नितेश पांडे ने खुलासा किया कि उसे पता था कि दूसरे नितेश को एक मामले में जमानत मिलनी थी, जिसमें उस पर जबरन प्रवेश और हमले का मुकदमा चल रहा था।
सोमवार को दूसरे नितेश को जमानत मिलने के बाद कैदियों को बुलाया गया। उन्होंने बताया कि जिस कैदी को जमानत मिली थी, वह मंगलवार को मौके पर मौजूद नहीं था और बलात्कार के आरोपी ने खुद को नितेश बताकर जेल से बाहर आ गया।
रवींद्र पांडे के बेटे नितेश पांडे के खिलाफ 2021 में सेक्टर-58 थाने में दुष्कर्म और पोक्सो अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
गिरफ्तारी के बाद उन्हें नीमका जेल में रखा गया था। पुलिस ने बताया कि अन्य आरोपी नितेश, जो ओल्ड फरीदाबाद थाना क्षेत्र के शास्त्री कॉलोनी का निवासी है, रविन्द्र का पुत्र है तथा मारपीट के एक मामले में गिरफ्तार होकर जेल में बंद था।
इस गड़बड़ी के बाद जेल प्रशासन ने दावा किया कि नितेश पांडे अपनी पहचान छिपाकर रिहाई पाने में कामयाब रहा और सदर फरीदाबाद पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई।
पूरी घटना में लापरवाही बरतने के आरोप में जेल के सहायक अधीक्षक मोहनलाल, उप सहायक प्रदीप त्यागी, हवलदार राजेंद्र और दो वार्डन संजीव और राजेश को निलंबित कर दिया गया।
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