N1Live National एकात्म मानववाद के प्रणेता के रूप में दीनदयाल उपाध्याय प्रेरणास्रोत: पृथ्वीराज हरिचंदन
National

एकात्म मानववाद के प्रणेता के रूप में दीनदयाल उपाध्याय प्रेरणास्रोत: पृथ्वीराज हरिचंदन

Deendayal Upadhyaya, as the pioneer of Integral Humanism, is a source of inspiration: Prithviraj Harichandan

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की राज्य स्तरीय जयंती समारोह गुरुवार को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के तत्वावधान में जयदेव भवन में आयोजित किया गया।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित ओडिशा के विधि, निर्माण एवं आबकारी मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिन्होंने अटूट संकल्प के साथ अपना जीवन राष्ट्रवाद के लिए समर्पित कर दिया। एकात्म मानववाद के प्रणेता के रूप में दीनदयाल उपाध्याय ने व्यक्ति, समाज और प्रकृति को एक मानकर सामंजस्यपूर्ण विकास की परिकल्पना की। उन्होंने पूंजीवाद या साम्यवाद में नहीं, बल्कि स्वदेशी और भारतीय मूल्यों में निहित मार्ग पर बल दिया।

पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय का दर्शन समाज के अंतिम व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति पर केंद्रित था ताकि राष्ट्र का समग्र कल्याण सुनिश्चित हो सके। स्वदेशी का उनका विचार भारतीय संस्कृति, ग्राम और कृषि विकास पर आधारित था।

हरिचंदन ने आगे कहा, “उनका मानना ​​था कि यदि राष्ट्र के संसाधन, श्रम और बुद्धि का उपयोग स्वदेशी के मार्ग पर किया जाए तो भारत आत्मनिर्भर बन जाएगा। आज उन्हीं विचारों ने देश को आत्मनिर्भरता और समग्र विकास की ओर अग्रसर किया है।”

उन्होंने आगे कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया और एकात्म मानववाद को मार्गदर्शक दर्शन के रूप में प्रस्तुत किया। स्वदेशी, आत्मनिर्भरता और अंतिम व्यक्ति के उत्थान का उनका दृष्टिकोण भारत को समग्र विकास के पथ पर अग्रसर करने के लिए प्रेरित करता रहता है।

वहीं, विधायक बाबू सिंह ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद एक भारतीय दर्शन है, जो मनुष्य, समाज और प्रकृति को एकीकृत दृष्टि से देखता है और अंत्योदय (अंतिम व्यक्ति का उत्थान) को अपना मूल सिद्धांत मानता है।

उन्होंने कहा, “जो लोग भोजन, वस्त्र, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आश्रय से वंचित हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए।” सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव हेमंत शर्मा ने अपने स्वागत भाषण में दीनदयाल उपाध्याय को एक प्रखर और मौलिक विचारक बताया।

उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद का दृष्टिकोण स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी के दर्शन से मेल खाता है।

Exit mobile version