दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को 6 नए न्यायाधीशों ने शपथ ली। इनमें न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव, न्यायमूर्ति नितिन वासुदेव साम्ब्रे, न्यायमूर्ति विवेक चौधरी, न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल, न्यायमूर्ति अरुण मोंगा और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला शामिल हैं। शपथ समारोह में दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने सभी नए जजों को शपथ दिलाई।
इस नियुक्ति के बाद दिल्ली हाईकोर्ट में जजों की संख्या बढ़कर 40 हो गई है, जबकि स्वीकृत पदों की कुल संख्या 60 है। ये सभी जज सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश और केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद अन्य हाईकोर्टों से दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित किए गए हैं।
न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव का नाम सबसे खास है, जो मई 2024 में कर्नाटक हाईकोर्ट गए थे और अब अपने मूल कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट, में लौट आए हैं। उन्हें अप्रैल 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट का अतिरिक्त जज और मार्च 2015 में स्थायी जज बनाया गया था।
न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से आए हैं। उन्होंने 1988 में चंडीगढ़ में वकालत शुरू की थी और 2014 में सीनियर एडवोकेट बने। जुलाई 2017 में उन्हें अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया था।
न्यायमूर्ति अरुण मोंगा राजस्थान हाईकोर्ट से स्थानांतरित हुए हैं। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली और 1991 में वकालत शुरू की। 1997-98 में दिल्ली आए और अक्टूबर 2018 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जज बने। नवंबर 2023 में उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट भेजा गया था।
न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला इलाहाबाद हाईकोर्ट से आए हैं। उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की और 2003 में यूपी बार काउंसिल में नामांकन कराया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद और दिल्ली हाईकोर्ट में कई तरह के मामलों में वकालत की। अगस्त 2022 में वे अतिरिक्त जज और मार्च 2024 में स्थायी जज बने।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी भी इलाहाबाद हाईकोर्ट से आए हैं। उन्होंने 1988 में मेरठ यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली और उसी साल एडवोकेट के रूप में नामांकन कराया। फरवरी 2017 में वे अतिरिक्त जज और मार्च 2018 में स्थायी जज बने।
न्यायमूर्ति नितिन वासुदेव साम्ब्रे बॉम्बे हाईकोर्ट से आए हैं। उन्होंने 1992 में नागपुर यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली और उसी साल वकालत शुरू की। जनवरी 2014 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का जज बनाया गया।