January 24, 2025
National

दिल्ली हाईकोर्ट ने शब-ए-बारात पर 600 साल पुरानी ध्वस्त मस्जिद में नमाज अदा करने की याचिका की खारिज

Delhi High Court rejects the petition to offer Namaz in 600 year old demolished mosque on Shab-e-Barat

नई दिल्ली, 23 फरवरी । दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को शब-ए-बारात के अवसर पर महरौली इलाके में हाल ही में ध्वस्त की गई 600 साल पुरानी मस्जिद अखोनजी की जगह पर नमाज अदा करने और कब्रों पर जाने की अनुमति मांगने वाली याचिका खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति पुरुषइंद्र कुमार कौरव ने दिल्ली वक्फ बोर्ड (डीडब्ल्यूबी) की प्रबंध समिति द्वारा दायर आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अदालत इस स्तर पर कोई निर्देश जारी करने के लिए इच्छुक नहीं है, क्योंकि मामला पहले से ही 2022 से लंबित याचिका में विचाराधीन है।

न्यायमूर्ति कौरव ने कहा कि यह स्थल वर्तमान में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के कब्जे में है, और अदालत पहले ही उस क्षेत्र पर यथास्थिति का आदेश जारी कर चुकी है, जहां मस्जिद थी।

अदालत ने कहा कि प्रार्थनाओं और कब्रिस्तान में जाने के लिए निर्बाध प्रवेश की याचिका एक अनिवार्य निषेधाज्ञा का अनुरोध है, जिसे वह इस समय देने के लिए इच्छुक नहीं है।

दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील शम्स ख्वाजा ने मुसलमानों द्वारा मनाई जाने वाली क्षमा की रात शब-ए-बारात के महत्व के कारण आवेदन की तात्कालिकता पर जोर दिया।

उन्होंने तर्क दिया कि 600 साल पुरानी मानी जाने वाली मस्जिद को डीडीए अधिकारियों ने अवैध रूप से ढहा दिया था।

हालाकि, डीडब्ल्यूबी के वकील ने मस्जिद की उम्र और वक्फ संपत्ति के रूप में इसकी स्थिति पर विवाद करते हुए आवेदन का विरोध किया।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी।

इससे पहले, अदालत ने डीडीए को उस क्षेत्र पर विशेष रूप से यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था, जहां मस्जिद स्थित थी, लेकिन स्पष्ट किया कि यह आदेश डीडीए को निकटवर्ती क्षेत्रों पर कार्रवाई करने से नहीं रोकता है।

डीडब्ल्यूबी की प्रबंध समिति का आरोप है कि मस्जिद और मदरसे का विध्वंस बेधड़क तरीके से किया गया, इससे इमाम और उनके परिवार को आश्रय नहीं मिला, क्योंकि उनकी झोपड़ी भी नष्ट हो गई।

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