नई दिल्ली, उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों ने यूजीसी-नेट, जेआरएफ परीक्षा में आयुर्वेद बायोलॉजी को एक अलग विषय के रूप में शामिल करने की मांग की है।
इस मांग को लेकर छात्रों ने बुधवार को यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार से मुलाकात की। एबीवीपी जेएनयू के प्रतिनिधिमंडल ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हाल ही में शुरू किए गए बीएससी-एमएससी आयुर्वेद बायोलॉजी पाठ्यक्रम से संबंधित मुद्दों को लेकर भी यूजीसी अध्यक्ष से मुलाकात की।
गौरतलब है कि आयुर्वेदिक फार्मास्युटिकल के क्षेत्र में एक अनुसंधान कैडर खड़ा करने और आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सकीय जीवविज्ञान के बीच सहज एकीकरण प्रदान करने के लिए 2020 में जेएनयू में बीएससी आयुर्वेद बायोलॉजी पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मल्टीडिसिप्लिनरी पाठ्यक्रम देश की समग्र स्वास्थ्य विषयक आवश्यकताओं को पूरा करने में एक मील का पत्थर साबित हो सकते है।
एबीवीपी-जेएनयू ने यूजीसी अध्यक्ष को पाठ्यक्रम के विशेष एवं अनूठे पहलुओं से भी अवगत कराया। प्रतिनिधिमंडल में एबीवीपी-जेएनयू विश्वविद्यालय इकाई के विकास पटेल, एबीवीपी दिल्ली के प्रदेश कार्य समिति सदस्य मनोज उनियाल, एबीवीपी-जेएनयू के स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज यूनिट के अध्यक्ष और आयुर्वेद बायोलॉजी के मुकुंद, आयुर्वेद बायोलॉजी के ही छात्र गौरव और छात्रा पायल शामिल रहे।
जेएनयू के विकास पटेल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में आयुर्वेद एक अरबों डॉलर के उद्योग में उभरा है। इसमें रोजगार के अवसर बढ़ने से छात्रों को सीधा फायदा होगा।
यूजीसी अध्यक्ष ने एबीवीपी-जेएनयू प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
आयुर्वेद बायोलॉजी के छात्र मुकुंद ने कहा कि आयुर्वेद बायोलॉजी का 5 साल का एकीकृत बीएससी-एमएससी पाठ्यक्रम भारत में एक अनूठा प्रयोग है। इसका उद्देश्य आयुर्वेदिक सिद्धांतों की अमूल्य सम्पदा को आधुनिक चिकित्सकीय जीवविज्ञान के साथ जोड़ कर चलना है।
यूजीसी चेयरमैन को यूजीसी-नेट, जेआरएफ परीक्षा में आयुर्वेद को एक अलग विषय के रूप में शामिल करने की आवश्यकता से भी अवगत कराया गया।
छात्रों का कहना है कि यह उन्हें जूनियर रिसर्च फेलोशिप का लाभ उठाने में सक्षम बनाएगा और उन्हें देश भर में विभिन्न पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश लेकर शोध करने के लिए योग्य बनाएगा।
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