महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। मालेगांव में एक जनसभा के दौरान अजित पवार ने कहा था कि अगर आप सभी 18 एनसीपी उम्मीदवारों को जिताते हैं तो मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि धन की कोई कमी न हो। अगर आप सभी 18 उम्मीदवारों को चुनते हैं तो मैंने जो भी वादा किया है उसे पूरा करूंगा, लेकिन अगर आप वोट नहीं देंगे तो मैं भी फंड नहीं दूंगा।
अजित पवार ने यह भी कहा था कि आपके पास वोट हैं, मेरे पास धन है। उन्होंने जनसभा में मौजूद लोगों से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सभी 18 उम्मीदवारों का समर्थन करने का आग्रह किया था। उनका यह बयान सामने आने के बाद महाराष्ट्र में विवाद खड़ा हो गया। पंचायत चुनाव में इसको लेकर विपक्षी पार्टियां हमलावर हो गईं और चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग करने लगीं।
इसी बीच महाराष्ट्र सरकार में मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने अजित पवार के बयान पर कहा कि अजित पवार ने यह बयान किस संदर्भ में दिया था, मुझे इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन सरकार को फंड देना होता है, तब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे, और अजित दादा पवार ये तीनों बैठकर फैसला लेते हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार के प्रमुख देवेंद्र फडणवीस हैं और फंड को लेकर कोई भी निर्णय ये तीनों मिलकर ही करते हैं। जब महायुति की सरकार है तो सभी का इस पर अधिकार है। उन्होंने किस संदर्भ में बोला, मुझे नहीं मालूम, लेकिन सरकार में ऐसी ही व्यवस्था है। मैं महायुति का समन्वयक हूं। सरकार में तीनों मिलकर ही फंड का आवंटन करते हैं।
वहीं, एनसीपी (एसपी) के राष्ट्रीय सचिव क्लाइड क्रैस्टो ने पलटवार करते हुए कहा कि अजित पवार एक होशियार और समझदार इंसान हैं, लेकिन ऐसा लग रहा है कि भाजपा के साथ जाने के बाद उनका व्यवहार और उनकी सोच भाजपा जैसी ही हो गई है। उन्हें यह समझना चाहिए कि चुनाव जीतने के बाद वह सिर्फ एक पार्टी के नहीं रह जाते। जहां तक फंड की बात है, वह उनकी पार्टी का नहीं है।

