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डीजीसीए ने पायलटों की मेडिकल जांच आसान की, 10 नए एयरोमेडिकल सेंटर जोड़े

DGCA eases medical check-ups for pilots, adds 10 new aeromedical centres

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने पायलटों और एयरक्रू की मेडिकल जांच को तेज और आसान बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। मंगलवार को 10 नए एयरोमेडिकल मूल्यांकन केंद्रों को मंजूरी दी गई, जो देश के अलग-अलग हिस्सों में फैले हैं।

डीजीसीए के इस कदम से क्लास 1, 2 और 3 मेडिकल जांच की क्षमता बढ़ेगी, और पायलटों को समय पर सर्टिफिकेट मिल सकेगा। पहले सिर्फ 8 केंद्र थे, जो सिर्फ क्लास 1 की शुरुआती जांच करते थे। अब नए केंद्र सभी तरह की जांच करेंगे, जिसमें शुरुआती, स्पेशल, अस्थायी अयोग्यता के बाद और उम्र से जुड़ी जांच भी शामिल हैं।

ये केंद्र भारतीय वायुसेना के बोर्डिंग सेंटरों के अलावा हैं। सभी में आधुनिक मशीनें, अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर और विशेष डॉक्टर उपलब्ध हैं। डीजीसीए के सख्त नियम और आईसीएओ (अंतरराष्ट्रीय मानक) का पालन होगा। नए केंद्रों की लोकेशन की बात करें तो अपोलो हॉस्पिटल्स (नई दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, इंदौर), मुंबई: नानावटी हॉस्पिटल्स, पुणे: रूबी हॉल क्लिनिक, वीएम मेडिकल केयर सेंटर, नई दिल्ली: मैक्स मल्टी स्पेशियलिटी सेंटर और मेदांता मेडिसिटी शामिल हैं।

डीजीसीए का कहना है कि इससे जांच में देरी कम होगी, पायलटों की कमी नहीं होगी और उड़ान सुरक्षा मजबूत रहेगी। भारत दुनिया का सबसे तेज बढ़ता एविएशन मार्केट है, इसलिए नियामक ढांचे को मजबूत करना जरूरी है। इस संबंध में सभी विस्तृत दिशा-निर्देशों और अनुदेशों के साथ डीजीसीए की आधिकारिक वेबसाइट पर ‘सार्वजनिक सूचना’ प्रकाशित की गई है।

यह विस्तार चिकित्सा प्रमाणन प्रक्रिया को अधिक कुशल और कम समय लेने वाला बनाकर विमानन समुदाय के कल्याण के प्रति डीजीसीए की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिससे प्रशासनिक देरी के कारण संभावित पायलटों की कमी को कम करने में मदद मिलेगी। यह पहल दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजार की मांगों को पूरा करने के लिए भारत के नागरिक विमानन नियामक ढांचे को आधुनिक बनाने और बढ़ाने के डीजीसीए के निरंतर प्रयास का एक हिस्सा है।

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