N1Live National श्री रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर: पशुराम भगवान ने की थी यहां शिवलिंग की स्थापना, ऋषियों की तपस्या से बना ‘मुनिगिरी क्षेत्रम’
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श्री रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर: पशुराम भगवान ने की थी यहां शिवलिंग की स्थापना, ऋषियों की तपस्या से बना ‘मुनिगिरी क्षेत्रम’

Sri Ramalingeswara Swamy Temple: Lord Pashupatinath established the Shivalinga here, and the 'Munigiri Kshetram' was created by the austerities of sages.

दक्षिण भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने इतिहास, पौराणिक कथा और बनावट के लिए प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक मंदिर आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में स्थित है, जहां भगवान शिव स्वयंप्रभू विराजमान हैं। इस मंदिर के गर्भग्रह पर सीधी सूरज की किरणें पड़ती हैं और भक्त ऐसा अद्भुत नजारा देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं।

आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में रामलिंगेश्वर नगर के पास यानामालाकुडुरू में श्री रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर है, जहां गर्भगृह में स्थित भगवान शिव एक स्वयंभू देवता हैं, जिन्हें वायु लिंग भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना ऋषि परशुराम ने की थी। उन्होंने यहां भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और भगवान शिव ने उन्हें वायु लिंगम रूप में विराजमान होने का वचन दिया था। किंवदंतियों में ये भी कहा जाता है कि इस मंदिर की पहाड़ी पर 1000 से ज्यादा पवित्र संतों और ऋषियों ने कठोर तप किया था, जिसकी वजह से गांव का नाम ‘वेयी मुनुला कुदुरु’ पड़ा, लेकिन बाद में इसे बदलकर ‘यनामालाकुदुरु’ कर दिया गया।

शिवरात्रि के समय मंदिर को दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है और दूर-दूर से शिव भक्त मंदिर में भगवान शिव के वायु लिंगम अवतार के दर्शन करने के लिए आते हैं।

श्री रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर शांत बहती कृष्णा नदी के पास बसा है, जो समंदर तल से 612 फीट ऊंची पहाड़ी पर बसा है। मंदिर के चारों ओर पहाड़ी क्षेत्र होने के साथ-साथ हरियाली भी भक्तों का दिल जीत लेती है। मंदिर जिस एरिया में बना है, उसे ‘मुनिगिरी क्षेत्रम’ भी कहा जाता है क्योंकि यहां बहुत सारे ऋषि और मुनियों ने तपस्या की थी।

इस पवित्र क्षेत्र का विकास करने और श्रद्धालुओं की पहुंच आसान बनाने के लिए मंदिर के पास विकास कार्य जारी है। मंदिर के पास मल्टीप्लेक्स पार्किंग की सुविधा के लिए बिल्डिंग तैयार की जा रही है और हैरानी की बात ये है कि इस बिल्डिंग को बनाने के लिए 70 करोड़ रुपए प्रशासन ने नहीं बल्कि शिव भक्त ने खर्च किए हैं। यानमलकुदुरु निवासी शिव भक्त सांगा नरसिम्हा राव मंदिर के आसपास निर्माण कार्य करा रहे हैं और अब तक 70 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। पिछले दो दशकों से लगातार नरसिम्हा राव अपनी निजी संपत्ति को मंदिर के विकास में लगा रहे हैं।

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