हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने शुक्रवार को एफएसएल मधुबन परिसर में चार अत्याधुनिक मोबाइल फोरेंसिक वैन का उद्घाटन किया।
उन्होंने एफएसएल द्वारा विकसित उन्नत छेड़छाड़-रोधी पैकेजिंग और सीलिंग सामग्री का भी अनावरण किया। यह न केवल अदालत में साक्ष्य की स्वीकार्यता को मजबूत करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि संग्रह से लेकर प्रस्तुति तक साक्ष्य बरकरार रहे। यह न्याय प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाएगा, गलत तरीके से बरी होने के जोखिम को कम करेगा, और न्यायिक परिणामों में जनता का विश्वास बढ़ाएगा।
डीएनए नमूनाकरण, फिंगरप्रिंट कैप्चर, डिजिटल दस्तावेज़ीकरण, कैमरा रिकॉर्डिंग और प्रारंभिक विश्लेषण के लिए सुसज्जित ये वैन अपराध स्थलों पर सीधे वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्र कर सकती हैं, जिससे देरी कम होगी और साक्ष्य क्षरण को रोका जा सकेगा।
इसके अलावा, ये वैन विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के लिए लाभदायक हैं, जहां जांचकर्ता पहले विशेषज्ञों के आने का इंतजार करते थे।
डीजीपी ने कहा, “ये दोनों पहल हरियाणा पुलिस की वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। एफएसएल अब केवल रिपोर्टिंग एजेंसी नहीं है, यह वैज्ञानिक न्याय के हर चरण में निर्णायक भूमिका निभाती है। जांच अब तेज, निष्पक्ष और तकनीकी रूप से इतनी मजबूत होगी कि अदालत में सबूतों को चुनौती देना बेहद मुश्किल होगा।” उन्होंने कहा कि 257 नए पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया सक्रिय थी, जिन्हें जल्द ही भरे जाने की उम्मीद है।
एफएसएल के निदेशक ओपी सिंह ने कहा कि अगस्त 2023 से वैज्ञानिक कर्मचारियों की संख्या 46 से बढ़कर 80 हो गई है। फोरेंसिक केस मैनेजमेंट सिस्टम, ट्रैकिया को पूरी तरह से डिजिटल कर दिया गया है। केस फाइलिंग और रसीद से लेकर रिपोर्ट तैयार करने और फॉलो-अप तक, हर कदम को अब पोर्टल पर ट्रैक किया जा सकता है, जिससे समय की बचत होगी और मानवीय त्रुटि कम होगी