चंडीगढ़, 15 जुलाई, 2025: राज्य में छोटे बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने मंगलवार को “दस्त रोको अभियान 2025” का शुभारंभ किया।
दो महीने तक चलने वाली यह आक्रामक पहल सीधे तौर पर बाल दस्त (चाइल्ड डायरिया) से निपटने के लिए है, जो पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर का एक प्रमुख, लेकिन पूरी तरह से रोकथाम योग्य कारण है। इस अवसर पर मंत्री ने जागरूकता पोस्टर का भी अनावरण किया।
डॉ. बलबीर सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि, “दस्त बच्चों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण है – प्रत्येक मृत्यु एक दुखद और टालने योग्य क्षति है। यह अभियान जागरूकता, रोकथाम और समय पर उपचार के माध्यम से प्रत्येक बच्चे की सुरक्षा के लिए हमारी प्रतिज्ञा है।”
डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग उच्च जोखिम वाले मानसून महीनों को लक्ष्य करते हुए रोकथाम-सुरक्षा-उपचार (पीपीटी) रणनीति अपनाएगा।
राज्य आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर-घर जाकर ओआरएस-जिंक किट वितरित करेगा, इसके अलावा, सभी स्वास्थ्य संस्थानों और आंगनवाड़ियों में ओआरएस-जिंक कॉर्नर स्थापित किए जाएंगे और मामलों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के कौशल को बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने कहा, “किसी भी बच्चे की मृत्यु ऐसी बीमारी से नहीं होनी चाहिए जिसका इलाज संभव हो। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हर स्वास्थ्य केंद्र में ओआरएस, जिंक, आईवी फ्लूइड और एंटीबायोटिक्स उपलब्ध हों।”
जागरूकता की आवश्यकता पर बल देते हुए डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि यह अभियान हाथ धोने, सुरक्षित पेयजल, केवल स्तनपान, स्वच्छता और टीकाकरण के लिए सामुदायिक लामबंदी को प्राथमिकता देता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने आग्रह किया, “दस्त की रोकथाम संभव है – स्वच्छ हाथ, स्वच्छ पानी और समय पर देखभाल से जीवन बचाया जा सकता है।” उन्होंने इस अभियान में पंचायती राज नेताओं, स्वयं सहायता समूहों, शिक्षकों और अभिभावकों की भागीदारी का आह्वान किया।
मंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार डायरिया के मूल कारणों से निपटने के लिए शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, जल एवं स्वच्छता तथा ग्रामीण विकास के साथ अंतर-विभागीय सहयोग को बढ़ावा दे रही है।
डॉ. बलबीर सिंह ने कहा, “यह सिर्फ़ स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं है, यह पंजाब के भविष्य की लड़ाई है। हम सब मिलकर संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ेंगे।”
स्वास्थ्य मंत्री ने अपील की कि अपने आस-पास के वातावरण को साफ रखें, सुरक्षित पानी का उपयोग करें, तथा दस्त होने पर तुरंत कार्रवाई करें – तुरंत ओआरएस-जिंक देना शुरू करें तथा चिकित्सा सहायता लें।
उन्होंने स्थानीय पेय जैसे नींबू पानी (शकंजी) पीने की भी सलाह दी, क्योंकि दस्त के दौरान तरल पदार्थों का सेवन जलयोजन के लिए आवश्यक है।
इस बीच, 2030 तक रेबीज उन्मूलन के लिए राज्य कार्य योजना की तैयारी की दिशा में समन्वित प्रयासों को सुविधाजनक बनाने के लिए एसएएस नगर स्थित पीडू (पशु कल्याण एनजीओ) के साथ राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए गए।
इस पहल में विभिन्न हितधारकों की भागीदारी के साथ-साथ स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना और मोहाली जिले में एंटी-रेबीज क्लीनिकों में परामर्श सत्र आयोजित करना शामिल है, तथा भविष्य में पूरे राज्य में इसका विस्तार किया जा सकता है।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य कुमार राहुल, निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. हितिंदर कौर, निदेशक परिवार कल्याण डॉ. जसमिंदर, निदेशक एनएचएम डॉ. बलविंदर कौर, सलाहकार जेएसएसके डॉ. मीनू लखनपाल, एसपीओ एमसीएच डॉ. हरप्रीत कौर, एसपीओ एनआरसीपी डॉ. अर्शदीप कौर, एमओ एमसीएच डॉ. हरसिमरत कौर, एपीओ एमसीएच डॉ. दीक्षा शर्मा और एसए एमसीएच बरुण गुप्ता भी उपस्थित थे।
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