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मध्य प्रदेश में चालकों की हड़ताल, दूध से लेकर सब्जी तक पर असर

Drivers' strike in Madhya Pradesh, affecting everything from milk to vegetables

भोपाल, 3 जनवरी । केंद्र सरकार द्वारा हिट एंड रन कानून में किए गए संशोधन के विरोध में चालक मंगलवार को दूसरे दिन भी हडताल पर रहे। इस हड़ताल का मध्य प्रदेश में भी असर है। हड़ताल के चलते जहां पेट्रोल और डीजल की किल्लत हो गई है, वहीं दूध और सब्जी भी आसानी से नहीं मिल पा रही है। राज्य की राजधानी भोपाल से लेकर छोटे कस्बों तक चालकों की हड़ताल का असर नजर आ रहा है।

सड़कों पर जगह-जगह ट्रक खड़े हैं तो वहीं बसों के पहिए भी थम गए हैं। यात्री एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से नहीं पहुंच पा रहे हैं, जो लोग ट्रेन से आ रहे हैं, उन्हें घर तक पहुंचाने के लिए टैक्सी और ऑटो भी मुहैया नहीं हो पा रहा है।

इस मुश्किल के समय में टैक्सी और ऑटो के चालक फायदा उठा रहे हैं, ज्यादा पैसे वसूल रहे हैं तो वहीं पेट्रोल-डीजल की ब्लैक में बिक्री हो रही है। पेट्रोल-डीजल की कमी का असर स्कूलों पर भी नजर आया है। राजधानी के कई स्कूलों ने छुट्टी घोषित कर दी है।

दरअसल, केंद्र सरकार ने हिट एंड रन के नए कानून को लागू किया है, जिसके चलते आईपीसी की धारा में बदलाव किया गया है। इस नए कानून के तहत अगर हादसे के बाद चालक भाग जाता है तो उसके खिलाफ 7 लाख का जुर्माना और 10 साल की सजा का प्रावधान है, इसी को लेकर देश व्यापी हड़ताल है। इस हड़ताल में मध्य प्रदेश के बस संगठन से जुड़े लोग और चालक शामिल हैं।

चालकों की हड़ताल के चलते डीजल और पेट्रोल भी डिपो से पंपों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। जिसके चलते कई पेट्रोल पंप पर ईंधन की आपूर्ति पूरी तरह बंद हो गई तो कई स्थानों पर वाहनों की लंबी-लंबी कतारें नजर आ रही है। तमाम जिलों के प्रशासन ने स्थितियों में सुधार लाने के भरसक प्रयास किए हैं। पेट्रोलियम कंपनी के डिपो से पेट्रोल पंप तक ईंधन पहुंचने की व्यवस्था की गई है। मगर, वह नाकाफी साबित हो रही है।

एक तरफ जहां पेट्रोल-डीजल की किल्लत हो रही है तो वहीं दूसरी ओर दूध और सब्जियों की आपूर्ति भी बाधित हुई है। मंडियों से लेकर सब्जी बाजार तक कम तादाद और किस्म की सब्जियां उपलब्ध हैं, लिहाजा, उनके भी दाम काफी बढ़े हुए हैं। साथ ही दूध की आपूर्ति भी बेहतर तरीके से नहीं हो पा रही है।

राज्य सरकार के परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने चालकों और उनके संगठनों से बातचीत का रास्ता अपनाने की अपील की है। अब तक कोई रास्ता नहीं निकल पाया है।

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