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पिछली बार के जीत मार्जिन के चलते अलीपुरद्वार में इस बार भी भाजपा के लिए राहें आसान

Due to the victory margin last time, it will be easy for BJP in Alipurduar this time too.

कोलकाता, 2 अप्रैल । पश्चिम बंगाल में आदिवासी बहुल अलीपुरद्वार लोकसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार मनोज तिग्गा की राहें आसान हैं। पार्टी और राज्य विधानसभा में उनके प्रभाव को देखते हुए उन्हें मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है।

अलीपुरद्वार निर्वाचन क्षेत्र में पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा। भाजपा ने मौजूदा सांसद जॉन बारला की जगह मदारीहाट से विधायक मनोज तिग्गा को टिकट दिया है।

मनोज तिग्गा विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक भी हैं। तिग्गा के लिए पहला फायदा 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की भारी जीत का अंतर है। जॉन बारला ने 2019 लोकसभा चुनाव में 7,60,804 वोट (कुल वोटों का 54.40 प्रतिशत) हासिल किए और तृणमूल कांग्रेस के दशरथ तिर्की को भारी मतों से हराया था। तिर्की को सिर्फ 5,06,815 वोट (36.73 प्रतिशत) मिले थे।

मनोज तिग्गा के लिए दूसरा फायदा अलीपुरद्वार जिले में पार्टी आयोजक के रूप में उनकी लोकप्रियता और विधानसभा में मुख्य सचेतक के रूप में उनकी भूमिका है।

तीसरा फायदा यह है कि साल 2021 के राज्य विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रचंड लहर के बाद भी अलीपुरद्वार निर्वाचन क्षेत्र के तहत सात विधानसभा क्षेत्रों में से अधिकांश में भाजपा विजयी रही थी।

आखिरकार, 2019 में भाजपा की जीत का अंतर संगठनात्मक तैयारियों के बाद हासिल हुआ। इस बार भाजपा ने अलीपुरद्वार में पार्टी के लिए पुख्ता संगठनात्मक ढांचा तैयार किया है।

एकमात्र चीज जो भाजपा के खिलाफ जा सकती है, वह है बारला को दोबारा नामांकन नहीं मिलना। भाजपा से जुड़े चाय बागान श्रमिक संघ में बारला और उनके करीबी सहयोगी कमोबेश निष्क्रिय हो गए हैं और अभी तक तिग्गा के समर्थन में सड़कों पर नहीं उतरे हैं।

वहीं टीएमसी ने पार्टी के राज्यसभा सदस्य प्रकाश चिकबड़ाइक को चुनावी मैदान में उतारा है।

वाम मोर्चा के घटक रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) ने मिली ओरांव को मैदान में उतारा है। उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 54,010 वोट (3.91 प्रतिशत) हासिल कर तीसरे स्थान पर रही थीं।

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की लहर में भी आरएसपी उम्मीदवार मनोहर टिर्की 1.12 लाख से अधिक वोटों के सहज अंतर से चुने गए थे।

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