N1Live National आबकारी नीति मामले में ईडी को एक पैसा भी नहीं मिला, हार के डर से भाजपा की हताशापूर्ण कोशिश: केजरीवाल
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आबकारी नीति मामले में ईडी को एक पैसा भी नहीं मिला, हार के डर से भाजपा की हताशापूर्ण कोशिश: केजरीवाल

ED did not get even a single penny in excise policy case, BJP's desperate attempt due to fear of defeat: Kejriwal

नई दिल्ली, 4 अक्टूबर । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह के परिसरों पर प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी से कुछ नहीं मिलेगा, क्योंकि ईडी को पिछले एक साल में धन शोधन जांच की छापेमारी में एक पैसा भी नहीं मिला। उन्‍होंने कहा कि यह 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा का एक हताशा में किया गया एक प्रयास है।

उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में हार को भांपते हुए भाजपा राजनीतिक विरोधियों और पत्रकारों के परिसरों पर छापेमारी कर अपनी आखिरी हताश कोशिश कर रही है।

केजरीवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ”पिछले एक साल से हम देख रहे हैं कि वे आबकारी नीति घोटाले के बारे में क्या कह रहे हैं। आज तक उन्हें एक भी पैसा नहीं मिल पाया है। इसके बावजूद उन्होंने एक हजार छापे मारे हैं और कई लोगों को गिरफ्तार किया है लेकिन आज तक कोई बरामदगी नहीं हुई है।”

केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए आप नेता ने कहा, ”उन्होंने हम पर कई आरोप लगाए हैं। उन्होंने बस घोटाला, सड़क घोटाला, पानी घोटाला, बिजली घोटाला और कई अन्य आरोप लगाए हैं। पिछले एक साल से वे आबकारी नीति घोटाले की जांच कर रहे हैं। आज तक उन्हें कुछ नहीं मिला। संजय सिंह के यहां भी उन्हें कुछ नहीं मिलेगा।”

मुख्यमंत्री ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “जैसे-जैसे 2024 का चुनाव आ रहा है, उन्हें लग रहा है कि वे हार रहे हैं और यह उससे पहले की आखिरी हताश कोशिश है। उन्होंने कल पत्रकारों के परिसरों और आज संजय सिंह के आवास पर तलाशी ली।”

उनकी टिप्पणी दिल्ली आबकारी नीति मामले में बुधवार सुबह से सिंह के परिसरों पर जारी ईडी की तलाशी के मद्देनजर आई है।

ईडी की टीम मध्य दिल्ली के उत्तरी एवेन्यू इलाके में सिंह के आवास पर पहुंची और तलाशी ली। ईडी इससे पहले उत्पाद नीति मामले में चार आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। ईडी ने अपने आरोप पत्र में सिंह के नाम का भी जिक्र किया है।

ईडी का मामला पिछले साल अगस्त में दायर सीबीआई की शिकायत पर आधारित है, जिसमें 2021-22 की उत्पाद शुल्क नीति में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है।

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