N1Live National ईडी ने झारखंड के मंत्री के पीएस संजीव और घरेलू सहायक जहांगीर को 7 दिनों की रिमांड पर लिया (लीड-1)
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ईडी ने झारखंड के मंत्री के पीएस संजीव और घरेलू सहायक जहांगीर को 7 दिनों की रिमांड पर लिया (लीड-1)

ED takes Jharkhand minister's PS Sanjeev and domestic help Jahangir on 7-day remand (Lead-1)

रांची, 7 मई । ईडी ने झारखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव कुमार लाल और उनके घरेलू सहायक जहांगीर आलम को गिरफ्तार करने के बाद मंगलवार दोपहर स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में पेश किया। ईडी की मांग पर कोर्ट ने दोनों से पूछताछ के लिए सात दिनों की रिमांड मंजूर की है।

गौरतलब है कि संजीव कुमार लाल, उनके घरेलू सहायक जहांगीर आलम और करीबी बिल्डर मुन्ना सिंह के ठिकानों पर सोमवार सुबह से देर रात तक चली रेड में कुल 35 करोड़ 23 लाख रुपए जब्त किए गए हैं।

ईडी मामले में झारखंड सरकार के कांग्रेसी मंत्री आलमगीर आलम से इसका हिसाब पूछने की तैयारी कर रही है। एजेंसी की ओर से उन्हें जल्द ही समन किया जाएगा।

मंत्री के पीएस संजीव कुमार लाल के घरेलू सहायक जहांगीर आलम ने प्रारंभिक पूछताछ में कबूल किया है कि वह “कमीशन और रिश्वत से जुटाई रकम” का केयरटेकर था, जिसके एवज में उसे महीने के करीब पंद्रह हजार रुपए की पगार मिलती थी।

जहांगीर को मंत्री आलमगीर ने ही अपने पीएस संजीव कुमार लाल के यहां नौकरी पर रखवाया था। इसके पहले कुछ दिनों तक उसने मंत्री के आवास पर भी काम किया। मंत्री के पीएस संजीव लाल ने उसके लिए रांची के गाड़ीखाना में सर सैयद रेसिडेंसी अपार्टमेंट में फ्लैट लिया था।

संजीव लाल हर एक-दो दिन में उसे रुपयों का बैग या थैला देते थे, जिसे वह इस फ्लैट की अलमारियों में लाकर रखता था। संजीव कुमार लाल ने शुरुआती पूछताछ में इनकार किया था कि जहांगीर के फ्लैट से मिली रकम उनकी है, लेकिन पुख्ता सबूत और जहांगीर के बयान के बाद एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

छापेमारी में ईडी ने कई कागजात भी बरामद किए हैं, जिनमें बीडीओ की ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े ब्योरे हैं। इन कागजात में झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर की ओर से बीडीओ की पोस्टिंग के लिए की गई पैरवी का भी जिक्र है।

इसके अलावा ईडी की ओर से राज्य के मुख्य सचिव को ग्रामीण विकास विभाग में गड़बड़ियों को लेकर एफआईआर दर्ज करने के लिए लिखी गई एक चिट्ठी भी मिली है।

माना जा रहा है कि सरकार ने ईडी की चिट्ठी पर कार्रवाई करने के बजाय उसे लीक कर विभाग के अफसरों तक पहुंचा दिया।

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