नई दिल्ली, अब न केवल स्कूल, कॉलेज या तकनीकी संस्थान में पढ़ने वाले छात्रों को बल्कि सड़क किनारे काम करने वाले मैकेनिक्स को सर्टिफाइड करने की कोशिश की जा रही है। इस कोशिश के अंतर्गत हजारों कामगारों को कौशल प्रशिक्षण से जोड़ने और नई तकनीक सीखाने की योजना है। वहीं ऑटोमोबाइल प्रशिक्षण के क्षेत्र में रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी महत्वपूर्ण तकनीक को बढ़ावा दिया जाएगा। इस तकनीक का लाभ खासतौर पर इलेक्ट्रिक व्हीकल को भी मिल सकेगा।
यह नई पहल कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) के अधीन कार्यरत एएसडीसी – ऑटोमोटिव स्किल्स डेवलपमेंट काउंसिल द्वारा की जा रही है। इसके लिए पार्टनर्स फोरम -2022 का भी आयोजन किया गया।
मंत्रालय के सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि सड़क किनारे मैकेनिक्स को सर्टिफाइड करने और उसे नई तकनीक सीखाने पर जोर दिया जाए। उन्होने एएसडीसी द्वारा चलाए जा रहे ग्लोब कम्पीटेंट ट्रेनर के ड्यूअल सर्टिफिकेशन की सराहना भी की।
उन्होंने कहा कि अब मोटर वाहन क्षेत्र के लिए कौशल ट्रेनिंग देने के लिए एआर-वीआर-आधारित कौशल प्रशिक्षण को बढ़ावा देने की जरूरत है, जिससे युवा जल्दी सीख सके। युवाओं से सीखने की संस्कृति को आत्मसात करने और बहु-कौशल पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की और कहा कि इस तरह की सीखने की प्रवृत्ति से हमारे युवा सशक्त होंगे और राष्ट्र निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। उद्योग में जाकर सीखने रीस्किलिंग, अपस्किलिंग पर भी और ध्यान देने की जरूरत बताई।
एएसडीसी द्वारा ऑटोमोटिव सेक्टर में करियर, नई तकनीक के साथ भविष्य की संभावनाएं और जरूरी स्किल की जानकारी देने के लिए एक करियर मार्गदर्शन का विमोचन भी किया गया। रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इलेक्ट्रिक व्हीकल के साथ कैसे नए बिजनेस मॉडल और उसके लिए जरूरी कौशल के बारे में भी जानकारी दी गई है।
एएसडीसी के प्रेसिडेंट विनोद अग्रवाल ने कहा कि भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग दुनिया में नई तकनीक और नवाचार अपनाने में आगे है। साथ ही देश में उत्पादन होने वाली गाड़ियों की सुरक्षा के नए पैमाने तय किए हैं। यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के कारण संभव हो सका है।