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यमन के जेल में बंद केरल की नर्स निमिषा प्रिया की रिहाई का प्रयास जारी

Efforts continue to release Kerala nurse Nimisha Priya who is imprisoned in Yemen

 

तिरुवनंतपुरम, यमन में मौत की सजा का सामना कर रही केरल की नर्स निमिषा प्रिया की रिहाई सुनिश्चित करने के प्रयासों में तेजी आई है।

विधायक चांडी ओमन के मुताबिक, खाड़ी देशों खासकर संयुक्त अरब अमीरात और कतर में यमन से जुड़े प्रवासी व्यापारियों के माध्यम से बातचीत सक्रिय रूप से आगे बढ़ रही है।

ओमन ने कहा, “कंथापुरम समूह के नेतृत्व में चल रहे मध्यस्थता प्रयासों को दरकिनार करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। आने वाले दिनों में सकारात्मक खबरों की उम्मीद है।”

ओमन, केरल के दो बार के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी के पुत्र हैं। ओमन चांडी की मृत्यु 2023 में हुई थी। अपने निधन तक वह इस मामले को लेकर सक्रिय रहे थे।

ओमन ने तीन बार केरल के राज्यपाल राजेंद्र वी. आर्लेकर से इस मामले को केंद्र के समक्ष उठाने का आग्रह किया है।

पलक्कड़ की मूल निवासी प्रिया को 2020 में अपने यमनी व्यापारिक साझेदार तलाल अब्दो महदी की 2017 में हुई हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रिया ने कई महीनों तक उसके द्वारा शारीरिक और मानसिक शोषण सहने के बाद दबाव में आकर यह कदम उठाया, जिसके परिणामस्वरूप उसे घातक दवा का ओवरडोज दिया गया।

इस साल 16 जुलाई को यमन के अधिकारियों द्वारा उसकी फांसी की तारीख तय किए जाने के बाद यह मामला फिर से चर्चा में आया है।

केरल के मुस्लिम विद्वान और भारत के ग्रैंड मुफ्ती, कंथापुरम ए.पी. अबूबकर मुसलियार के नेतृत्व में किए गए निरंतर हस्तक्षेपों के कारण अंतिम समय में फांसी पर रोक लगवाने में सफलता मिली।

मुफ्ती के नेटवर्क, खासकर यमन के प्रमुख धर्मगुरु शेख हबीब उमर के साथ उनके संबंधों को बातचीत का मार्ग प्रशस्त करने का श्रेय दिया जाता है।

यमन में इस्लामी दर्शन का अध्ययन करने वाले मुफ्ती के एक करीबी सहयोगी जवाद मुस्तफावी ने इस बात पर जोर दिया कि उनके मिशन का एकमात्र उद्देश्य उसकी रिहाई है।

राजनयिक और मानवीय प्रयास अब पीड़िता के परिवार, जो यमन के कानूनी ढांचे के तहत अंतिम निर्णयकर्ता कर्ता हैं, को मनाने पर केंद्रित हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं सहित एक यमनी प्रतिनिधिमंडल ने सुलह और मुआवजे की संभावनाओं का पता लगाने के लिए शोक संतप्त परिवार से संपर्क किया था।

खाड़ी देशों में धार्मिक और मानवीय हस्तक्षेपों के साथ-साथ बातचीत के जोर पकड़ने के साथ ये उम्मीद बनी है कि निमिषा को न केवल मौत की सजा से बचाया जा सकेगा, बल्कि वह केरल वापस आ सकेगी।

 

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