January 28, 2025
National

चार हजार साल पहले मिस्र के लोगों ने किया था कैंसर के इलाज का प्रयास

Egyptians tried to cure cancer four thousand years ago

नई दिल्ली, 30 मई । चार हजार साल पुरानी दो खोपड़ियों पर किए शोध में पता चला है कि प्राचीन मिस्र के लोगों ने कैंसर के इलाज की कोशिश की थी।

मिस्र की सभ्यता दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक मानी जाती है। उस समय वहां के लोग बीमारियों और दर्दनाक चोटों की पहचान करने के साथ कृत्रिम अंग बनाने और दांतों को भरने के लिए जाने जाते हैं।

प्राचीन मिस्र के लोगों की क्षमता को जानने के लिए शोधकर्ताओं की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने दो मानव खोपड़ियों का अध्ययन किया। ये दोनों खोपड़ियां हज़ारों साल पुरानी थी। इनमें से एक महिला और एक पुरुष की थी।

फ्रंटियर्स इन मेडिसिन नामक पत्रिका में प्रकाशित शोधपत्र में उन्होंने कहा कि खोपड़ियों पर कटे के निशानों से प्राचीन मिस्रवासियों द्वारा किए जाने वाले दर्दनाक और ऑन्कोलॉजिकल उपचारों की सीमा का पता चलता है।

स्पेन के सैंटियागो डी कम्पोस्टेला विश्वविद्यालय के पैलियोपैथोलॉजिस्ट एडगार्ड कैमरोस ने इस खोज को अद्वितीय और असाधारण साक्ष्य बताया, जिससे पता चलता है कि किस प्रकार प्राचीन मिस्र की चिकित्सा ने चार हजार साल से भी ज्यादा पहले कैंसर से निपटने या उसे जानने का प्रयास किया होगा।

शोध के लिए जो दो खोपड़ियां ली गईं। उनमें से एक 2,687 और 2,345 ईसा पूर्व के बीच की हैं। यह एक पुरुष की खोपड़ी है जिसकी उम्र 30 से 35 वर्ष के बीच रही होगी। वहीं, एक महिला खोपड़ी जो 663 और 343 ईसा पूर्व के बीच की है, उसकी उम्र 50 वर्ष से अधिक रही होगी।

पुरुष की खोपड़ी के सूक्ष्म अवलोकन ने अत्यधिक कोशिकाओं के नष्ट होने के अनुरूप एक बड़े आकार का घाव देखा गया, जिसे नियोप्लाज्म के रूप में जाना जाता है।

इसके अलावा महिला की खोपड़ी में लगभग 30 छोटे और गोल मेटास्टेसाइज्ड घाव भी दिखाई दे रहे थे, जिन पर धातु के उपकरण जैसी किसी नुकीली वस्तु से कट के निशान थे।

जर्मनी के ट्यूबिंगन विश्वविद्यालय की शोधकर्ता तातियाना टोंडिनी ने कहा, “जब हमने पहली बार माइक्रोस्कोप के नीचे कट के निशान देखे, तो हमें अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ।”

”महिला खोपड़ी के विश्लेषण से भी एक बड़ा घाव दिखा जो कैंसरग्रस्त ट्यूमर से मेल खाता था जिसके कारण हड्डी नष्ट हो गई थी।” टीम ने कहा, “इससे यह संकेत मिल सकता है कि आज की जीवनशैली और पर्यावरण में कैंसर पैदा करने वाले पदार्थ कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं, लेकिन अतीत में यह एक आम बीमारी थी।”

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