शिमला, 19 अगस्त हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड कर्मचारी संघ ने विद्युत बोर्ड की दुर्दशा और कार्यप्रणाली में न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करने का निर्णय लिया है। यह दावा करते हुए कि हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड (एचपीएसईबीएल) पिछले 53 वर्षों में अपने सबसे खराब वित्तीय संकट से गुजर रहा है, एचपीएसईबीएल कर्मचारी संघ के अध्यक्ष केडी शर्मा ने बोर्ड के अभूतपूर्व संकट के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
शर्मा ने इस बात पर अफसोस जताया कि बिजली बोर्ड जैसे बड़े संस्थान को पिछले डेढ़ साल से तदर्थ प्रबंधन के जरिए चलाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे बिजली क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा है और बोर्ड तथा इसके कर्मचारी इस स्थिति का खामियाजा भुगत रहे हैं।
शर्मा ने दावा किया कि पूर्णकालिक निदेशकों और निदेशक मंडल की बैठकें समय पर नहीं हो रही हैं, जिसके कारण कई महत्वपूर्ण निर्णय और पदोन्नतियां लंबे समय से लंबित हैं। शर्मा ने कहा, “पिछले डेढ़ साल से बिजली बोर्ड ठप पड़ा है। सभी विकास कार्य ठप पड़े हैं।
पिछले साल मई में सेवा समिति द्वारा लिए गए निर्णयों को अभी तक लागू नहीं किया गया है। मई, 2023 में 1,100 तकनीकी कर्मचारियों की नियुक्ति का निर्णय लिया गया था, लेकिन भर्ती प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई है।”
कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया कि बोर्ड गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रहा है, जिसके कारण कर्मचारियों और पेंशनरों के वित्तीय लाभ अटके हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया, “स्थिति इतनी खराब है कि पिछले एक साल से कर्मचारियों को अवकाश नकदीकरण और सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी नहीं दी गई है।”
शर्मा ने कहा कि यदि बिजली बोर्ड को पटरी पर लाने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो कर्मचारी और पेंशनर्स सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
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