सर्व कर्मचारी संघ, हरियाणा ने कर्मचारियों की पेंशन और महंगाई भत्ते (डीए) से संबंधित केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ नाराजगी जताने के लिए 2 अप्रैल को गेट मीटिंग का आह्वान किया है।
प्रेस विज्ञप्ति में संघ ने कहा कि वित्त विधेयक, 2025 के तहत 25 मार्च को लोकसभा में भारत की संचित निधि से पेंशन देनदारियों पर व्यय के लिए सीसीएस (पेंशन) नियमों और सिद्धांतों के सत्यापन से संबंधित विधेयक पारित किया गया। इसके अनुसार, इस वर्ष 31 दिसंबर तक सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों और पूर्व पेंशनभोगियों को आठवें वेतन आयोग के लाभों से वंचित कर दिया गया है। इस बीच, उसी दिन लोकसभा में सांसदों के वेतन में 24% की वृद्धि की गई, न्यूनतम पेंशन 25,000 रुपये से बढ़ाकर 31,000 रुपये कर दी गई और दैनिक भत्ता 2,000 रुपये से बढ़ाकर 2,500 रुपये कर दिया गया।
संघ के प्रदेशाध्यक्ष धर्मवीर फौगाट, महासचिव नरेश कुमार, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के अध्यक्ष प्रभु सिंह, महासचिव रामपाल शर्मा, मैकेनिकल वर्कर्स यूनियन के महासचिव जरनैल सिंह व हेमसा के महासचिव हितेंद्र सिहाग ने संयुक्त बयान में कहा कि पेंशन संबंधी विधेयक पारित होने से सरकार की पोल खुल गई है कि वह जनता के प्रति कितनी जवाबदेह है।
संघ के सदस्यों के अनुसार 2% डीए कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के साथ क्रूर मजाक है। संघ ने 1 अप्रैल से लागू होने वाली एकीकृत पेंशन योजना को वापस लेने और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग की।
संघ के महासचिव नरेश कुमार ने कहा, “राज्य सरकार को अपने कर्मचारियों को कम से कम 6% डीए देना चाहिए। राज्य के लिए एक अलग वेतन आयोग का गठन किया जाना चाहिए और तब तक कर्मचारियों को 5,000 रुपये की अंतरिम सहायता दी जानी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “कर्मचारी 2 अप्रैल को अपने-अपने विभागों में विरोध प्रदर्शन करेंगे। आगे की रणनीति तय करने के लिए 6 अप्रैल को राज्य कार्यकारिणी की बैठक होगी।”
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