April 11, 2025
National

पर्यावरण परिषद और वर्कशॉप : पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण न‍ियंत्रण व इस क्षेत्र में अवसरों पर चर्चा

Environment Council and Workshop: Discussion on environmental protection, pollution control and opportunities in this field

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) ने नवी मुंबई की डी. वाई. पाटिल यूनिवर्सिटी में पर्यावरण परिषद और वर्कशॉप का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में एमपीसीबी के अध्यक्ष सिद्धेश कदम, सदस्य अविनाश ढाकने और यूनिवर्सिटी के चांसलर विजय पाटिल शामिल हुए। इस मौके पर पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण और इस क्षेत्र में मौजूद अवसरों पर चर्चा हुई।

सिद्धेश कदम ने कहा कि इस परिषद का उद्देश्य छात्रों को पर्यावरण से जुड़े करियर अवसरों के बारे में जागरूक करना है। उन्होंने बताया कि आज प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन चुका है और इसे रोकने के लिए भविष्य में विशेषज्ञों की जरूरत होगी। इस क्षेत्र में नौकरियां और शोध के कई अवसर उपलब्ध हैं। उन्होंने कचरे का पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) और पर्यावरण संरक्षण के तरीकों पर जोर देते हुए कहा कि इनसे न केवल पर्यावरण बचेगा, बल्कि रोजगार के नए रास्ते भी खुलेंगे।

वर्कशॉप में पर्यावरणीय स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) और उससे जुड़े व्यापारिक अवसरों पर चर्चा की गई। कई विशेषज्ञों ने पानी और हवा की गुणवत्ता सुधारने, प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और अन्य पर्यावरणीय समाधानों पर व्याख्यान दिए। कदम ने बताया कि यह वर्कशॉप महाराष्ट्र में इस तरह के कई आयोजनों की शुरुआत है। पहला कार्यक्रम डी. वाई. पाटिल यूनिवर्सिटी में हुआ, जिसमें छात्रों और स्थानीय लोगों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया।

उन्होंने कहा कि रीसाइक्लिंग जैसे क्षेत्रों में नई संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं। पानी और हवा को साफ रखने के लिए नई तकनीकों पर काम करने की जरूरत है। इस तरह के वर्कशॉप से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी और वे पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकेंगे।

कार्यक्रम में शामिल छात्रों और स्थानीय लोगों ने इस पहल की सराहना की। उनका कहना था कि इस तरह के आयोजन न केवल जागरूकता बढ़ाते हैं, बल्कि पर्यावरण के क्षेत्र में करियर बनाने की दिशा भी दिखाते हैं। एमपीसीबी ने भविष्य में भी पूरे महाराष्ट्र में ऐसे वर्कशॉप आयोजित करने की योजना बनाई है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग पर्यावरण संरक्षण से जुड़ सकें।

यह आयोजन पर्यावरण के प्रति जागरूकता और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल प्रदूषण नियंत्रण को बल मिलेगा, बल्कि युवाओं को नए अवसर भी मिलेंगे।

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