एएसआई संदीप लाथर के परिवार ने, जिनकी कथित तौर पर 14 अक्टूबर को लाधोत गांव में आत्महत्या से मौत हो गई थी, इस बात पर निराशा व्यक्त की है कि हरियाणा सरकार ने अभी तक उन्हें कोई राहत या सहायता प्रदान नहीं की है। एएसआई के चचेरे भाई, जिंद के जुलाना निवासी भूप सिंह लाथर ने गुरुवार को ‘द ट्रिब्यून’ को बताया कि आश्वासनों के बावजूद, कोई वित्तीय सहायता, नौकरी या शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है।
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी हमारे घर आए थे और राज्य के वरिष्ठ अधिकारी अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे। उन्होंने संदीप की विधवा को नौकरी, आर्थिक सहायता और उन्हें शहीद का दर्जा देने का वादा किया था, लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया है।” उन्होंने आगे कहा कि वे इस मुद्दे को उठाने के लिए एक सामाजिक पंचायत का आयोजन करेंगे।
उन्होंने कहा, “दुखद घटना के समय सरकार ने हमें न्याय दिलाने का वादा किया था, लेकिन अब कोई भी परिवार की दुर्दशा पर ध्यान नहीं दे रहा है।”
उन्होंने संदीप की पत्नी की शिकायत पर उसकी मौत के संबंध में दर्ज मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। दिवंगत आईजीपी वाई पूरन कुमार के पूर्व सहयोगी सुशील, कुमार की पत्नी और साले समेत इस मामले में आरोपियों में शामिल हैं। उन्होंने कहा, “पुलिस ने इस मामले में अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। सुशील को मुख्य आरोपी मानते हुए एक अन्य जबरन वसूली मामले में आरोपपत्र दाखिल न करना भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है।”
एएसआई के एक अन्य चचेरे भाई संजय देसवाल ने कहा कि वह घटना के बाद से सरकारी अधिकारियों से मिल रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई राहत प्रदान नहीं की गई है।

