एक फर्जी फर्म की आड़ में दवा निर्माण के एक और चौंकाने वाले मामले में, राज्य औषधि नियंत्रण प्रशासन (डीसीए) ने मेसर्स वाईएल फार्मा के पार्टनर अखिलेश कुमार को बद्दी में कथित तौर पर नकली दवाइयाँ बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। कुमार को शनिवार शाम को हिरासत में लिया गया और उनके खिलाफ औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम की कड़ी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
औषधि निरीक्षक सुरेश चौहान और विकास ठाकुर ने इकाई के अंदर नकली दवा उत्पादन के पुख्ता सबूत मिलने के बाद कार्रवाई शुरू की। उनकी जाँच राजस्थान औषधि नियंत्रण प्रशासन से मिली एक सूचना के बाद शुरू हुई, जिसमें बताया गया था कि वाईएल फार्मा द्वारा निर्मित एक दवा के नमूने – लेवोसेट्रीज़ीन टैबलेट (विन्सेट-एल, बैच संख्या YLT25023) में कोई भी सक्रिय घटक नहीं था। नमूने को नकली और मानक गुणवत्ता का नहीं घोषित किया गया।
राज्य औषधि नियंत्रक डॉ. मनीष कपूर के अनुसार, 1 नवंबर को औचक निरीक्षण के दौरान फर्म को अवैध रूप से दवाओं का निर्माण करते हुए पकड़ा गया, जबकि 29 मार्च को ही विनिर्माण रोकने का आदेश जारी किया गया था। 3 नवंबर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, लेकिन कंपनी का जवाब असंतोषजनक पाया गया, जिसके बाद अधिकारियों ने उसी दिन उसका विनिर्माण लाइसेंस रद्द कर दिया।
आगे की जाँच से पता चला कि परिसर से बरामद प्रीगैबलिन कैप्सूल (प्रीगैबैरिल-300) पर सिक्किम के एक ऐसे निर्माता का नाम अंकित था जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं था, जिससे नकली दवाओं के उत्पादन की पुष्टि हुई। अधिकारियों ने बड़ी मात्रा में टैबलेट, कैप्सूल, पैकिंग सामग्री और स्टीरियो भी ज़ब्त किए। कंपनी अनिवार्य बैच निर्माण रिकॉर्ड और परीक्षण-विश्लेषण रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रही, जिससे वैधानिक आवश्यकताओं के गंभीर उल्लंघन का संकेत मिलता है।

