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मशहूर शायर मुनव्वर राणा का 71 साल की उम्र में निधन

Famous poet Munawwar Rana dies at the age of 71

लखनऊ, 15 जनवरी । मशहूर उर्दू शायर मुनव्वर राणा का रविवार रात लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे।

वह कई महीनों से बीमारी से जूझ रहे थे और एसजीपीजीआई अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। वह कैंसर, किडनी और हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे।

राणा की बेटी सुमैया राणा ने कहा कि उनके पिता को सोमवार को सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।

राणा के बेटे तबरेज़ राणा ने कहा, “बीमारी के कारण वह 14 से 15 दिनों तक अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें पहले लखनऊ के मेदांता और फिर एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया था, जहां रविवार रात करीब 11 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।”

शायर के परिवार में उनकी पत्नी, चार बेटियां और एक बेटा है।

26 नवंबर, 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में जन्मे राणा को उर्दू साहित्य और कविता में उनके योगदान, विशेषकर उनकी ग़ज़लों के लिए व्यापक रूप से पहचाना गया। उनकी काव्य शैली अपनी सुगमता के लिए उल्लेखनीय थी, क्योंकि वे फ़ारसी और अरबी से परहेज करते हुए अक्सर हिंदी और अवधी शब्दों को शामिल करते थे, जो भारतीय श्रोताओं को पसंद आते थे।

उनकी सबसे प्रसिद्ध गजल ‘मां’ थी, जो पारंपरिक ग़ज़ल शैली में मां के गुणों का जश्न मनाती थी।

अपने पूरे करियर के दौरान, राणा को कई पुरस्‍कार मिले, जिनमें उनकी काव्य पुस्तक ‘शाहदाबा’ के लिए 2014 में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार भी शामिल है। हालांकि, देश में बढ़ती असहिष्णुता से खिन्‍न होकर उन्होंने बाद में पुरस्कार लौटा दिया।

उन्हें प्राप्त अन्य पुरस्कारों में अमीर खुसरो पुरस्कार, मीर तकी मीर पुरस्कार, गालिब पुरस्कार, डॉ. जाकिर हुसैन पुरस्कार और सरस्वती समाज पुरस्कार शामिल हैं। उनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है।

राणा ने अपना अधिकांश जीवन कोलकाता में बिताया और भारत और विदेशों दोनों में मुशायरों में उनकी महत्वपूर्ण उपस्थिति थी।

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