हरियाणा के विभिन्न जिलों से किसान मंगलवार को आईसीएआर-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर), करनाल में आयोजित किसान मेला एवं बीज दिवस के चौथे दिन गेहूं और जौ के बीज लेने पहुंचे। वैज्ञानिकों द्वारा प्रतिदिन किसानों को संस्थान में आमंत्रित किया जा रहा है, जहां उन्हें उन्नत बीज और नवीनतम कृषि ज्ञान उपलब्ध कराया जा रहा है।
आईआईडब्ल्यूबीआर के कार्यवाहक निदेशक डॉ. ओम प्रकाश अहलावत ने बताया कि डीबीडब्ल्यू 187, डीबीडब्ल्यू 222, डीबीडब्ल्यू 303, डीबीडब्ल्यू 327, डीबीडब्ल्यू 332, डीबीडब्ल्यू 370, डीबीडब्ल्यू 371, डीबीडब्ल्यू 372 और डीबीडब्ल्यू 316 किस्मों के गेहूं के बीज के साथ-साथ डीडब्ल्यूआरबी 137 किस्म के जौ के बीज हरियाणा के पंजीकृत किसानों को वितरित किए गए, जिन्होंने आईआईडब्ल्यूबीआर बीज पोर्टल पर पंजीकरण कराया था।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय, करनाल के निदेशक डॉ. जोगिंदर सिंह मलिक ने किसानों को ऐसे मेलों का पूरा लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया तथा वैज्ञानिकों द्वारा बताए गए सुझावों पर अमल करने का आह्वान किया। तकनीकी सत्रों के दौरान डॉ. अनिल खिप्पल ने गेहूं व जौ की पैदावार बढ़ाने की तकनीकों पर चर्चा की तथा प्राकृतिक खेती अपनाने की वकालत की। डॉ. प्रेम लाल ने गेहूं व जौ को लगने वाले रोगों के साथ-साथ उनकी रोकथाम के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. नीरज कुलश्रेष्ठ ने लवणीय मिट्टी में खेती के लिए उपयुक्त गेहूं की किस्मों के बारे में जानकारी दी, जबकि प्रो. कामिनी कुमारी ने मृदा स्वास्थ्य तथा प्राकृतिक खेती के घटकों पर जोर दिया। युवा वैज्ञानिक डॉ. नीरज कुमार ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए।