October 13, 2025
Punjab

राज्य और केंद्र की ‘उपेक्षा’ के खिलाफ मालवा में किसानों का प्रदर्शन

Farmers protest in Malwa against ‘neglect’ by state and centre

संयुक्त किसान मोर्चा (पंजाब) से जुड़े किसानों ने आज मालवा के कई हिस्सों में जिला प्रशासनिक कार्यालयों के बाहर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया और राज्य सरकार तथा केंद्र पर लापरवाही बरतने तथा किसान विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाया। किसान नेताओं ने हाल ही में आई बाढ़ से प्रभावित किसानों को राहत प्रदान करने में सरकार की उदासीनता पर प्रकाश डाला।

उन्होंने आरोप लगाया कि बाढ़ कोई प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि पंजाब और केंद्र सरकारों के साथ-साथ भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की प्रशासनिक विफलता का नतीजा है। नेताओं ने दावा किया कि अधिकारियों ने समय से पहले ही बांधों को भर दिया और जब भारी बारिश हुई, तो अतिरिक्त पानी छोड़ दिया, जिससे लगभग पाँच लाख एकड़ ज़मीन जलमग्न हो गई और फसलों, घरों और बुनियादी ढाँचे को भारी नुकसान पहुँचा।

उन्होंने धान की सरकारी खरीद में देरी की भी आलोचना की, जबकि फसल मंडियों में आनी शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि इस देरी के कारण किसानों को अपनी उपज निजी व्यापारियों को औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ रही है। किसान नेताओं ने पराली जलाने के आरोप में किसानों पर एफआईआर दर्ज करने की राज्य सरकार की कार्रवाई की भी निंदा की और कहा कि प्रशासन को बाढ़ पीड़ितों की मदद करने और किसानों की आर्थिक तंगी दूर करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

मानसा उपायुक्त कार्यालय के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन में, भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के प्रदेश प्रतिनिधि शिंगारा सिंह मान ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार वित्तीय सहायता की मांग की। उन्होंने कहा कि किसान फसल अवशेष और पराली के प्रबंधन के लिए 200 रुपये प्रति क्विंटल धान या 7,000 रुपये प्रति एकड़ की सहायता की मांग कर रहे हैं।

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